एक दफा जवाहरलाल नेहरू भोपाल दौरे पर थे. राजभवन को पता चला कि पंडित जी की फेवरेट 555 ब्रांड की सिगरेट उपलब्ध नही है.
यह पता चलते ही भोपाल से एक विशेष प्लेन इंदौर भेजा गया. वहां एयरपोर्ट पर कुछ सिगरेट के पैकेट पहले से पहुंचाये जा चुके थे.
विशेष विमान से इंदौर से सिगरेट पैकेट एयरलिफ्ट कर पंडित नेहरू के भोजन से पहले भोपाल पहुंचाये गये.
– मध्य प्रदेश राजभवन की डायरी से.
(Avinash Bajpai की पोस्ट)
सरदार पटेल की बेटी मणिबेन के बारे में अमूल के संस्थापक कूरियन वर्गीज ने अपनी किताब में जिक्र किया है.
जब पटेल का निधन हुआ तो उन्होंने एक किताब और एक बैग लिया और जवाहरलाल नेहरू से मिलने चली गईं.
उन्होंने नेहरू को इसे सौंपा. उनके पिता का निर्देश था कि उनके निधन के बाद इसे केवल नेहरू को सौंपा जाए.
उस बैग में 35 लाख रुपए थे और बुक दरअसल पार्टी की खाताबुक थी. नेहरू ने इसे लिया, मणिबेन को धन्यवाद कहा.
वह इंतजार करती रहीं कि शायद नेहरू कुछ बोलें. जब ऐसा नहीं हुआ तो वह उठीं और चली आईं.
कूरियन को बाद में मणिबेन ने बताया था कि- मैने सोचा शायद नेहरू ये पूछेंगे कि मैं अब कैसे काम चला रही हूं या मुझको किसी मदद की जरूरत तो नहीं.. लेकिन ये नेहरू ने बिलकुल नही पूछा. मणि इससे ख़ासी आहत हुईं.
(संजय श्रीवास्तव जी के ब्लॉग से वाया Umesh Chaturvedi जी)
क्या आपने कभी पड़ताल की है कि आरक्षण की पहली नींव कब किसने डाली और इसका पहला लाभार्थी कौन हुआ?
तो याद कीजिये उस अधिवेशन को जिसमें 14 में से 13 वोट पड़े सुयोग्य कैंडिडेट सरदार पटेल को और उनको धकिया के किनारे करते एक वोट वाले अयोग्य कैंडिडेट नेहरू को गांधी बाबा ने अपना वीटो लगा पीएम बनवा डाला.
(रंजना सिंह की पोस्ट)
मालूम है… गांधी जी उस बैठक में नहीं थे, वो बाद में आये और नेहरू का हाथ पकड़कर ये प्रधानमंत्री और पटेल को ये गृह मंत्री….
उनका समर्थन करने वाले सभी पटेल के पास आये और कहा, पटेल जी आप कहे तो हम बगावत कर दें?
इस पर पटेल ने कहा, नहीं… देश क्या कहेगा? आज़ादी मिली नहीं कि सत्ता के लिए, कुर्सी के लिए हम लड़ने लगे? बिलकुल नहीं, जिसके चरणों तले बैठकर हमने पूरी ज़िन्दगी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी है, उससे बगावत नहीं कर सकता.
ये था पटेल का व्यक्तिव, उनकी सोच… उस वक़्त बगावत करने पर जाने क्या देश कहता, पता नहीं…
पर आज देश यह ज़रूर कहता है, यह देश का दुर्भाग्य रहा कि पटेल हमारे पहले प्रधानमंत्री न बन पाए… इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है यह तो रंजना जी ने अपनी पोस्ट में लिख ही दिया है.
(रंजना सिंह की पोस्ट पर पर Yogesh Singh जी की टिप्पणी)
[सभी पोस्ट्स पंकज कुमार झा की फेसबुक वाल से संकलित]