नई दिल्ली. पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल को शहीद का दर्जा देने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल ने राम किशन को शहीद का दर्जा देने की बात कही थी.
सीआरपीएफ के पूर्व कर्मी पूर्वकर्मी पूरण चंद आर्य और एक वकील अवध कौशिक ने हाईकोर्ट में दो अलग-अलग जनहित याचिका दायर की है.
याचिकाओं में कहा गया है कि हाल ही में हाईकोर्ट ने अपने एक ऑर्डर में स्पष्ट किया था कि केवल देश के लिए जान गंवाने वाले व्यक्ति को शहीद का दर्जा दिया जाता है. चाहे वह सशस्त्र बल के सैनिक हों या फिर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल का हिस्सा रहे हों.
दिल्ली के जंतर-मंतर पर पूर्व फौजी रामकिशन ग्रेवाल ने कथित रूप से सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन के मामले पर खुदकुशी कर ली थी.
याचिका में ग्रेवाल के परिजनों को केजरीवाल सरकार द्वारा एक करोड़ रुपये, एक सदस्य को नौकरी व शहीद का दर्जा दिए जाने की घोषणा को चुनौती देते हुए इस घोषणा को रद्द करने की मांग की गई है.
याचिकाकर्ता के अनुसार, ‘सरकार बिना मंत्रिमंडल में आदेश पारित कर ऐसी घोषणा कैसे कर सकती है? यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) के तहत गैर कानूनी है’.
याचिका में यह भी कहा गया ही कि ग्रेवाल दिल्ली के निवासी नहीं थे. उन्हें दिल्ली सरकार अनुकंपा राशि कैसे दे सकती है. वहीं, यह एक करोड़ की रकम दिल्ली के जनता द्वारा टैक्स में दिए पैसे हैं’.
जानकारी के मुताबिक़ राम किशन ग्रेवाल ने अपने पेंशन अकाउंट पर 3.5 लाख रुपए का लोन ले रखा था.
राम किशन का वह खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की भिवानी ब्रांच में था उसी खाते में रामकिशन की पेंशन आया करती थी.
अनुमान है कि लोन का पैसा ना चुका पाने से परेशान होकर ही राम किशन ने सुसाइड किया हो.
याचिका में ये भी कहा गया है कि इस प्रकार के फैसले से आम लोगों में गलत संदेश जाएगा और यह निर्णय आत्महत्या जैसे अपराध को महिमामंडित कर रहा है.
एसबीआई ब्रांच पर पूछताछ से पता चला कि लोन 2015 में लिया गया था. लोन के पैसे के बारे में रामकिशन के परिवार को जानकारी नहीं है.
राम किशन के बेटे जसवंत ने कहा कि उनको बैंक से लिए गए लोन के बारे में कुछ नहीं पता. जसवंत ने कहा, ‘मुझे और मेरे भाईयों को पिताजी के लोन लेने के बारे में नहीं पता.’
याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार शहीद का दर्जा देकर आत्महत्या के फैसले को समर्थन दे रही है, जबकि आत्महत्या करना या उसका प्रयास करना भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध है. ऐसे मामलों को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए.
राम किशन ग्रेवाल का एक ऑडियो भी सामने आया था. उसमें वह अपने बेटे से बात कर रहे थे. उस बातचीत में उन्होंने अपने बेटे को जहर खा लेने की बात कही थी.
हाईकोर्ट से मांग की गई है कि केंद्र सरकार, उप राज्यपाल शहीद का दर्जा दिए जाने को लेकर गाइडलाइन बनाएं. आगामी 7 नवंबर को इस मामले में सुनवाई हो सकती है.