वादा 1 : 10 का था… 1 : 40 का नहीं…
जब हेमराज का सिर काट कर ले गए थे तो मोदी ने कहा था, एक के बदले दस सिर लेकर आओ.
जब लोकसभा चुनाव में प्रचार होने लगा तो मोदी ने कहा था कि घर में घुस कर मारूंगा और एक के बदले 10 सिर लेकर आऊंगा.
पिछले दिनों पाकिस्तानी सेना और घुसपैठिये शहीद मंदीप सिंह का सिर काट कर ले गए. तब राजनाथ सिंह ने कहा था कि इसका बदला लिया जाएगा.
यूँ युद्ध विराम उल्लंघन तो होते ही रहते हैं सीमा पर. छोटे हथियारों और बंदूकों से फायरिंग चलती ही रहती है.
पर मंदीप के कटे सिर का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने पहली बार Artillery Guns मने तोपों से हमला किया.
बताया जा रहा है कि 13 साल बाद भारतीय तोपें गरजी हैं. Artillery fire का मतलब होता है अर्जुन जैसे टैंकों और बोफोर्स जैसी तोपों से फायर….
इस फायरिंग में पकिस्तान की 4 चौकियां ध्वस्त कर दी गयी और 40 से ज़्यादा पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने की खबर है. इसके अलावा घायलों की तो गिनती ही नहीं.
ये एक अकेले मंदीप के सिर का बदला है, जो मोदी ने लिया.
आर्मी चढ़ के मार रही है, घुस के मार रही है.
यही समस्या है.
विपक्ष को यही प्रॉब्लम है. उसको लगता है कि अब तो भाजपा के पक्ष में भारतीय सेना भी चुनाव प्रचार के लिए कूद पड़ी है.
जी हां…. फ़ौज अगर पाकिस्तान को मारती है, तो छाती मोदी की चौड़ी होती है.
ऊपर से शिवराज सिंह चौहान और मध्यप्रदेश पुलिस ने राहुल गांधी के कोढ़ में खाज कर दी.
मोदी पाकिस्तानियों को मार रहे, इधर मामा शिवराज ने सिमी का नंबर लगा दिया.
सिमी वालों की गुंडागर्दी से भोपाल जेल की पुलिस आज़िज़ आ चुकी थी.
सिमी आतंकियों ने जब जेल में गार्ड रमाशंकर की हत्या कर दी तभी मामा शिवराज ने कह दिया…. बस…. बहुत हुआ…. अब और नहीं.
ये 8 ज़्यादा गुंडागर्दी करते थे… चुन चुन के मारा… अब चिल्लाते रहो और कराते रहो जांच.
संदेश साफ़ स्पष्ट है.
ऐसे ही मारेंगे.
सीमा पार भी मारेंगे… घर में घुस के मारेंगे…
ज़रूरत पड़ी तो टैंक और तोप से मारेंगे, जेल से निकाल के मारेंगे, पहाड़ी पर चढ़ा कर मारेंगे, घेर के मारेंगे, ऐसे मारेंगे जैसे गाँव में पागल कुत्ता मारा जाता है.
समस्या ये है कि जनता तक ये संदेश साफ़ स्पष्ट पहुँच भी रहा है.
मोदी को वोट लेना आता है. सेक्यूलर(?) विपक्ष को यही खटक रहा है. मोदी तो सेना और एसटीएफ और एटीएस से भी चुनाव प्रचार कराये ले रहे हैं.
ये ओआरओपी का बवेला इसी लिए खड़ा किया जा रहा है. साज़िश ये है कि किसी तरह पूर्व सैनिकों को सरकार के खिलाफ खड़ा किया जा सके.
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फौजियों का मनोबल मत गिरने दो.