नई दिल्ली. एक ख़ास किस्म की विचारधारा से प्रेरित टीवी चैनल को बैन करने के मामले पर केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि यह कदम राष्ट्र की सुरक्षा के मद्देनज़र उठाया गया है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री नायडू ने शनिवार की सुबह दिए बयान में कहा ‘एक टीवी चैनल को एक दिन के लिए बंद करने की कार्यवाही देश की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है.’
बता दें कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने आने वाले बुधवार को एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण पर एक दिन के लिए रोक लगाने का आदेश दिया है.
मंत्रालय ने पठानकोट हमले के दौरान चैनल द्वारा किए गए कवरेज पर आपत्ति जताते हुए सज़ा के तौर पर यह प्रतिबंध लगाया है.
स्वाभाविक रूप से एनडीटीवी ने इस दावों को झुठलाया है जिसमें कहा गया है कि उसके हिंदी चैनल ने आतंकी हमले के दौरान संवेदनशील सूचना सार्वजनिक की है.
एनडीटीवी ने अपने बयान में कहा है कि ‘बेहद आश्चर्य की बात है कि NDTV को इस तरह एक मामले में अलग किया गया. जबकि सभी समाचार चैनलों और अखबारों की कवरेज एक जैसी ही थी. NDTV इस मामले में सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है.’
वहीं, भाजपा ने प्रसारण पर रोक का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्र से पहले कुछ नहीं हो सकता और राष्ट्रीय सुरक्षा से कदापि समझौता नहीं होगा.
सरकार ने एक लंबी सूची जारी करके साफ किया कि संप्रग शासनकाल में भी ऐसे दर्जनों मामले हुए थे जब चैनल के प्रसारण पर रोक लगाई गई थी.
सूचना व प्रसारण मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, 2008 में मुंबई हमले के बाद से लेकर 2015 में गुरदासपुर में आतंकी के खिलाफ कार्रवाई तक चैनलों को आधा दर्जन से ज्यादा बार एडवाइजरी जारी की गई थी.
इन चैनलों को बार-बार आगाह किया गया था कि ऐसी कार्रवाई का सजीव प्रसारण न करें क्योंकि इससे आतंकियों को लाभ मिल सकता है.
एक सूची भी जारी की गई है जिसमें 2005 से 2015 तक के 28 ऐसे मामलों का जिक्र किया गया है जब किसी चैनल को एक दिन से लेकर एक महीने तक प्रतिबंधित किया गया था.
इसमें अधिकतर मामले ऐसे थे जिसमें या तो अश्लीलता दिखाई जा रही थी या महिलाओं की गरिमा पर चोट की जा रही थी.
अप्रैल 2015 के आखिरी मामले में सरकार ने अलजजीरा को पांच दिन के लिए प्रतिबंधित किया था. चैनल ने भारत का गलत मैप दिखाया था.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अंतर मंत्रालयी समिति गुरुवार को इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि पठानकोट में जब वायुसेना के एयरबेस पर आतंकी हमला हो रहा था, तब ‘एनडीटीवी इंडिया’ ने महत्वपूर्ण और ‘रणनीतिक रूप से संवदेनशील’ सूचनाओं को प्रसारित कर दिया था.
समिति की सिफारिश पर मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा, ‘भारत भर में किसी भी मंच के जरिए एनडीटीवी इंडिया के एक दिन के प्रसारण या पुन: प्रसारण पर रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं.
उधर आम जनता में अपनी विश्वसनीयता खो चुके और वर्तमाना सरकार से खार खाए बैठे पत्रकारों ने सरकार के इस निर्णय की निंदा करते हुए इसे प्रेस की आजादी का दमन करार दिया है.
वहीं, कांग्रेस, जदयू, राजद, और वामपंथी दलों ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि इससे आपातकाल की याद ताजा होने लगी है.