राम किशन ग्रेवाल आत्महत्या की कहानी में दो कडि़यां छूट गई हैं. पहली इस घटना से ठीक पहले राहुल का बिना किसी कारण या औचित्य के यह सवाल उठाना कि वन रैंक वन पेंशन सबको नहीं मिली है, सबको दो और उसके बाद इस व्यक्ति के साथ यह घटना.
पता लगाया जाना चाहिए कि सल्फास किसने खिलाया. वह सल्फास लेकर आवेदन देने तो चला नहीं होगा.
चला भी तो आवेदन देने के अगले ही दिन उसका कोई उत्तर पाने या लेने के प्रयत्न से पहले वह स्वयं यह कदम तो उठा नहीं सकता.
अब इसके साथ उस चित्र को तलाश कर फिर देखें जिसमें राजस्थान का वह किसान पेड़ पर बहुत लंबा समय बिताने और थकने की हालत में झाडू लिये मंच की ओर दिखाते हुए कातर स्वर में कुछ गुहार लगा रहा है.
अनुमानत: उससे कहा गया था कि तुम नाटक करना हम नीचे से तुम्हें आश्वासन देंगे कि उतर आओ, जान मत दो, हम तुम्हारी मांग पूरी कर देंगे.
सिसोदिया और केजरी वाल मंच पर बैठे चिन्तित भाव से उधर देख रहे है पर न वहां से हिलते हैं, न रोकते हैं न किसी को उसकी रक्षा के लिए बढ़ने का संकेत करते हैं.
उनके लिए हत्या से पहले यह सिद्ध नहीं हो सकता था कि राजस्थान में किसान कर्ज के मारे आत्महत्या कर रहे हैं.
अब दोनों कडि़यों को मिला कर समझने का प्रयत्न करें अपराधी का पता चल जाएगा.