स्क्रीन काली करने वाले रविश का चैनल, अब 24 घंटे रहेगा काला

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नई दिल्ली. सूचना और प्रसारण मंत्रालय की अंतर मंत्रालयी समिति ने टीवी चैनल एनडीटीवी इंडिया को एक दिन के लिए बंद करने की सज़ा दी है.

इस चैनल पर पठानकोट हमले के दौरान गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने और सुरक्षा से संबंधित संवेदनशील विवरण दिखाने का आरोप है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) अधिनियमन के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि ‘एनडीटीवी इंडिया को आदेश दिया जाता है कि वह 9 नवंबर, 2016 के दिन की शुरूआत (आठ नवंबर की देर रात 12:01 मिनट) से लेकर 10 नवंबर, 2016 के दिन के खत्म होने (नौ नवंबर की देर रात 12:01 बजे) तक के लिए प्रसारण अथवा पुनर्प्रसारण पूरे भारत में हर प्लेटफॉर्म पर बंद रखेगा.’

मंत्रालयी समिति ने अपनी जांच में पाया है कि चैनल ने रियल टाइम टेलीकास्टिंग के दौरान आतंकियों की सटीक मौजूदगी और संवेदनशील परिसंपत्तियों से जुड़ी सूचनाएं साझा की थीं. समिति ने इस पर दुख जताते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ माना.

गौरतलब है कि इस साल जनवरी में आतंकियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हमला कर दिया था. आतंकियों से लगातार पांच दिनों तक मुठभेड़ चलता रहा था.

इस ऑपरेशन में 7 जवान शहीद हो गए थे जबकि सेना के जवानों ने जवाबी कार्रवाई में 6 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था.

जांच के दौरान समिति ने पाया कि चैनल ने पठानकोट हमले के कवरेज के दौरान न केवल गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया बल्कि संवेदनशील सूचनाओं को आमलोगों के सामने परोसा.

इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंच सकता था और आम लोगों और सुरक्षाकर्मियों की जान को खतरा पहुंच सकता था क्योंकि आतंकी भी लगातार टीवी चैनलों के संपर्क में थे.

चैनल ने पठानकोट हमले के दौरान एयरबेस में रखे गोला-बारूद, एमआईजी फाइटर विमान, रॉकेट लॉन्चर, मोर्टार, हेलीकॉप्टर्स उनके फ्यूल टैंक के बारे में जानाकरी साझा की थी.

एक प्रकार से यह आतंकवादियों की मदद करने जैसा ही था क्योंकि ये सूचनाएं पाकर आतंकी या उनके आका सुरक्षा ठिकानों को और अधिक नुकसान पहुंचा सकते थे.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पठानकोट हमले के दौरान चैनल पर दिखाई गई सामग्री तय नियमों का उल्लंघन करती है. इस संबंध में चैनल को पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.

अपने जवाब में चैनल ने इसे सब्जेक्टिव इन्टरप्रिटेशन कहा था. साथ ही कहा था कि ये जानकारी पब्लिक डोमेन में पहले से ही प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर उपलब्ध है.

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