हुज़ूर ये अस्पताल है, आपकी नौटंकी से मरीजों को कितनी तकलीफ होगी!

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पिताजी फ़ौज में थे, इसलिए बचपन में कई बार MH, बोले तो Military Hospital जाने का मौका मिला.

एक बार मुझे पीलिया हो गया था जब मैं 12th में था. तब 4 हफ्ते MH कोटा में भर्ती भी रहा.

वहाँ रह कर एक नयी बात पता चली. Military Hospitals एकदम Pin Drop Silence, बोले तो सुई पटक सन्नाटा के लिए जाने जाते हैं. किसी भी प्रकार के शोर शराबे, हल्ला गुल्ला पर सख्त प्रतिबन्ध.

जो फ़ौज अपने भारी भरकम फौजी बूटों, कदम ताल और परेड के लिए जानी जाती है, वही फ़ौज जब MH में आती है तो PT Shoes पहन कर आती है जिससे कि चलने पर ज़रा सी भी आवाज़ न हो.

MH का पूरा स्टाफ PT Shoes पहन कर ड्यूटी करता है. कोई बीमार जवान अगर भर्ती है और उसकी तीमारदारी के लिए regiment का कोई जवान या अफसर आया तो वो भी PT shoe पहन के ही आयेगा. बात करेगा तो फुसफुसा के. कोई मरीज disturb न हो.

अस्पताल मरीजों के लिए होते हैं. वहाँ धरना प्रदर्शन राजनीति और हल्ला गुल्ला नहीं होना चाहिए.

कल जब DSC का ex सूबेदार जहर खा के “शहीद” हो गया तो उनका शव दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में था.

राहुल गांधी जो कि खून की दलाली वाला बयान देकर अपनी भद्द पिटवा के एक महीने से गायब थे, अचानक प्रकट हुए.

उनको और उनकी पार्टी को 40 साल तक फ़ौज की सुध न आयी. वो खुद 10 बरस UPA की सत्ता में केंद्र में रहे पर उन 10 साल में इनसे OROP लागू न हुआ.

पर कल जबकि राम किशन मर गया तो ये RML Hospital जा पहुंचे अपने चेला चप्पड़ लाव लश्कर के साथ.

पुलिस ने उनसे कहा कि हुज़ूर ये अस्पताल है. आपकी नौटंकी से यहां इलाज करा रहे हज़ारों मरीजों और उनके परिजनों को कितनी तकलीफ होगी?

पर इस सबसे बेपरवाह राहुल गांधी ने उस अस्पताल को राजनीति का अखाड़ा बना दिया, वहीं राम किशन के परिजनों से मिलने पे अड़ गए, हज़ारों कांग्रेसी और आपिये वहां जुट गए.

फिर उनके बंदोबस्त में हज़ारों पुलिस बुलानी पड़ी. फिर सारी प्रेस वहाँ टूट पड़ी…. और अस्पताल को जंतर मंतर बना डाला.

राम किशन का शव जब post mortem के लिए लेडी हार्डिंग अस्पताल पहुंचा तो वहां राजनीति करने सिसोदिया जी आन पहुंचे.

अरे भाई कोई मर जाए तो दुआर करने गाँव में जाया जाता है. वहाँ जब उसकी तेरहवीं होगी तो जाना वहाँ, और फिर खूब गरियाना मोदी और खट्टर को.

भाई मेरे, अस्पताल को तो बख्श दो….

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