आज सुबह से शुभचिंतकों के फोन मेरे पास आ रहे हैं. उन्होंने चिन्ता प्रकट की जिस प्रकार मीडिया और कुछ राजनीतिक दल उसको प्रस्तुत कर रहे हैं जो मैंने कल राम किशन ग्रेवाल की आत्महत्या के सन्दर्भ में कहा था.
ठन्डे दिमाग से सोचिये.
अगर आपको बुखार हो, और कोई आपका तापमान नापना चाहे, तो क्या आप उसे अपना अपमान मानेंगें? फिर मानसिक तनाव के लिए यह विशेष रवैया क्यों?
हमारी सरकार मानसिक तनाव के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए मुहीम भी चला रही है. इसके बारे में खुल के बात करना, इसके निवारण का प्रथम चरण है. जाने कितने लोग अनुपचारित मानसिक तनाव के चलते ऐसे कदम उठा लेते हैं जो अपरिवर्तनीय होते हैं.
जिनका सेना में अनुभव नहीं उन्हें अनुमान ही नहीं कि एक सैनिक किस शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक तनाव में जीता है.
विदेश की सेनाओं में इसे Post Traumatic Stress Disorder के नाम से जाना जाता है, और उसका सुनियोजित उपचार होता है. अनगिनत विदेशी सैनिक जीवन इसके कारण बचे हैं.
मगर भारत के लिए यह मील का पत्थर अभी दूर है. इसका अनुमान हमारे देश के पढ़े लिखे वर्ग की प्रतिक्रिया से ही लग गया जिन्होंने इसके बारे में जाँच को अपमान करने की चेष्ठा मान लिया है.
इन महान राजनेताओं और मीडिया वालों के लिए खड़े हो कर मंथर गति से ताली बजाना न भूलें क्योंकि इन्होंने बिलकुल वही दिखा दिया जो हमें अपने समाज की विचारधारा में सुधारना है.
आप सुधरिए, देश सुधरेगा.
धन्यवाद
- जनरल वी के सिंह की फेसबुक पोस्ट से साभार