नई दिल्ली. कथित रूप से ओआरओपी की मांग को लेकर खुदकुशी करने वाले पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल ने रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर से घर या ऑफिस में मिलने के लिए वक्त नहीं मांगा था.
इसके अलावा ग्रेवाल को ओआरओपी के तहत लाभ मिला था. यह जानकारी रक्षा मंत्रालय के सूत्रों से मिली है.
उल्लेखनीय है कि बारंबार यह बताया जा रहा है कि ग्रेवाल ओआरओपी मुद्दे को लेकर रक्षामंत्री को ज्ञापन देने जा रहे थे और अचानक उन्होंने ज़हर खा लिया.
रक्षा मंत्रालय का यह बयान राम किशन की मौत के बाद आम आदमी पार्टी और फिर उसके नक़्शेकदम पर चलते हुए राहुल गांधी द्वारा राजनीति शुरू करने के बाद आया है.
मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ओआरओपी के तहत ग्रेवाल को पूरा लाभ नहीं मिला था, उन्हें थोड़ी कम रकम मिली थी.
ऐसा हरियाणा के भिवानी जिले में एसबीआई बैंक की ब्रांच में गणना में हुई गड़बड़ी की वजह से हुआ था.
रक्षामंत्री पर्रिकर ने बुधवार को कहा कि सरकार पूर्व सैनिकों के विकास के लिए समर्पित हैं और सरकार ने इस स्कीम के तहत 5,507.47 करोड़ रुपए बांटे हैं.
वहीं, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री जनरल (रि.) वीके सिंह ने ओआरओपी की मांग लेकर आत्महत्या करने वाले पूर्व सैनिक की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए हैं.
सिंह ने कहा, ‘ओआरओपी को राजनीति से दूर रखना चाहिए, यह अच्छा रहेगा. राहुल गांधी को इस मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘सुसाइड के पीछे ओआरओपी को वजह बताया जा रहा है, जबकि यह पता नहीं कि उसकी मानसिक स्थिति क्या थी. इसकी जांच होनी चाहिए.’
बता दें, ओआरओपी मुद्दे पर रक्षामंत्री को ज्ञापन देने जा रहे पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल ने दिल्ली में जहर खाकर कथित रूप से खुदकुशी कर ली थी.