गन्ना, समृद्धि का प्रतीक है और समृद्धि ही माँ लक्ष्मी का रूप. जहाँ बारिश अच्छी और पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था हो वहीं गन्ने की खेती की जा सकती है.
भारतभूमि को गन्ने की मातृभूमि माना जाता है. गन्ना भारत वर्ष की प्रमुख नकदी फसलों में से एक है. लगभग 50 मिलियन किसान अपनी जीविका के लिए गन्ने की खेती पर निर्भर हैं और इतने ही खेतिहर मजदूर हैं, जो गन्ने के खेतों में काम करके अपनी जीविका कमाते हैं.
गन्ने का रस सफेद शक्कर, खाण्डसारी तथा गुड़ बनाने में काम आता है. भारत में शक्कर उद्योग 30,000 करोड़ का व्यवसाय है जिसका कपड़ा उद्योग के बाद दूसरा स्थान है.
भारत में सम्पूर्ण गन्ना उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का प्रथम, महाराष्ट्र का द्वितीय तथा तमिलनाडु का तृतीय स्थान है.
गन्ने का आर्थिक के साथ औषधीय महत्व भी है. आयरन व कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा होने के कारण गन्ने का रस तुरंत शक्ति व स्फूर्ति प्रदान करता है.
गन्ने का रस पेट, दिल, दिमाग, गुर्दे व आंखों के लिए विशेष लाभदायक है.
गन्ने का रस हमेशा ताजा व छना हुआ ही पीना चाहिए.
बुखार होने पर इसका सेवन करने से बुखार जल्दी उतर जाता है.
एसीडिटी के कारण होने वाली जलन में भी गन्ने का रस लाभदायक होता है.
गन्ने के रस का सेवन यदि नींबू के रस के साथ किया जाए तो पीलिया जल्दी ठीक हो जाता है.
दुबले लोगों को भी गन्ने का रस काफी फायदा करता है.
गन्ने को दांतों से चूसकर खाने से कमजोर दांत मजबूत होते हैं.