नई दिल्ली. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने परिवार के लिए कुछ नहीं किया और उनके परिवार ने भी कभी उनका ‘कॉपीराइट’ नहीं लिया. यह कहना था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का.
प्रधानमंत्री रविवार को सरदार पटेल के 141वें जन्मदिवस के अवसर पर उनके जीवन पर आयोजित डिजिटल प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए लोगों को संबोधित कर रहे थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने साथ ही कहा कि ऐसी महान विभूतियों के योगदान को आने वाली पीढ़ियों के समक्ष पेश किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि यह सरदार पटेल का व्यक्तित्व ही था कि सैकड़ों रियासतें भारत में विलय करने के लिए मान गईं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर हम अपने मतभेदों पर ध्यान देंगे तो भारत जैसा विविधतापूर्ण देश आगे नहीं बढ़ सकता. हमें एकता के मंत्र पर ध्यान देते हुए जीना चाहिए.
उन्होंने कहा, जब हम एकता की बात करते हैं तब संदेश स्पष्ट है कि मैं एक भाजपा वाला हूं और सरदार पटेल कांग्रेस से संबंध रखने वाले, फिर भी हम उनकी जयंती को पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मना रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘प्रत्येक महान व्यक्ति के समय में विभिन्न विचार और बहस जुड़ी होती है लेकिन आने वाली पीढ़ियों को यह अधिकार नहीं है कि वह उन महान व्यक्तियों के योगदान एवं उपलब्धियों का इस्तेमाल विभाजन पैदा करने के लिए करें.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसा प्रयास होना चाहिए कि उनके जीवन से ऐसी चीजें निकालें जो प्रत्येक को एक दूसरे से जोड़ने का काम करें.’
मोदी ने अपने आलोचकों पर प्रहार करते हुए कहा, ‘मुझे तब आश्चर्य होता है जब कुछ लोग मुझसे पूछते हैं कि सरदार पटेल की जयंती मनाने वाला मैं कौन होता हूं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन सरदार पटेल ऐसे व्यक्ति थे, जिनके परिवार ने कोई कापीराइट नहीं लिया और सार्वजनिक जीवन में उन्होंने अपने परिवार के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने जो कुछ किया, वह देश के प्रति कर्तव्य का निर्वाह था.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग इतने महान थे कि 70 वर्ष तक इनके योगदान को भुलाने का प्रयास किया गया, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली.
सरदार पटेल को महान चिंतक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अहमदाबाद नगर निकाय के प्रमुख के तौर पर महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव पेश किया था.
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद अधिकांश राज्य पंडित जवाहर लाल नेहरू की बजाए सरदार पटेल को सरकार का प्रमुख बनाने के पक्ष में थे. सरदार पटेल ने हालांकि गांधीजी की इच्छा को स्वीकार किया जिसके बाद नेहरू सरकार के प्रमुख बने.
प्रधानमंत्री ने हास्य विनोद के अंदाज में कहा कि शायद गुजराती होने के कारण गांधी एक और गुजराती को नहीं चुनना चाहते थे.
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सरदार पटेल के बलिदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि लोग तो नगरपालिका के अध्यक्ष पद को भी नहीं छोड़ते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम प्रतिदिन देखते हैं और कभी कभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि भिन्न दिशाओं में जाने के रास्ते तलाशते हैं. जैसे कि हम दूरबीन लेकर ऐसी चीज तलाश रहे हों जो विभाजन पैदा करती हों.’
उन्होंने कहा, इतनी विविधता से भरे देश को इस तरह से नहीं चलाया जा सकता है. हमें एकता के मंत्र के साथ जीना होगा. और इसे आत्मसात करना होगा क्योंकि यह हमारी धरोहर है और इसे आने वाली पीढ़ियों को देना है.’
समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ योजना पेश की, जो विभिन्न राज्यों में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने और विविधता में एकता की भावना को प्रोत्साहित करता हो.