भारत-अमेरिका : दो जिस्म एक जान

ऐसा मेरा व्यक्तिगत मत है कि दुनिया में जो हालात बने है और उसके परिप्रेक्ष्य में अमेरिका जिस प्रकार की मुश्किलों से गुजर रहा है ऐसी स्थिति में ट्रम्प या हिलेरी दोनों ही बड़े ही कमज़ोर प्रेजिडेंट साबित होंगे… योग्यता, गहराई, दूरदृष्टी और चुनोतियों के मद्देनज़र….

यूरोप में स्थापित हुई कठिनाइयां जो मुस्लिम विस्थापित मूवमेंट, आर्थिक मसले, ईयू का विघटन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का जाना एक नई सिनेरियो को जन्म दे गया है…. वेस्ट एशिया अपनी अति बुरे काल से गुजर रहा है वहाँ अगर बड़ी कमी देखी जा रही है तो वो एक बड़े, मजबूत लीडर की…

रूस अपनी पुरानी लिगेसी को धीरे धीरे ही सही लेकिन पुतिन के लगातार मिल रहे नेतृत्व से पुनः प्राप्त कर रहा है…

जापान, ऑस्ट्रेलिया, चीन, जर्मनी, ईरान, अफगानिस्तान, वियतनाम, ब्राज़ील, ताइवान, साउथ कोरिया और कई अफ्रीकन देश अपने काबिल, दृढ और मजबूत सरकारों और नेता के चलते आर्थिक और विकास की ओर अग्रसर है….!

इन हालातों में भारत में प्रारम्भ हुए मोदी युग को भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता है… शुरुआती अन्तर्विरोधों, चुनावी पराजयों और जयचंदी विचारधारा जो सदियों से देश को पीछे खीचने के लिए जानी जाती रही है..

इन विपरीत परिस्थिति के बावजूद नरेंद्र मोदी जैसे मजबूत, दृढ, भविष्यदृष्टा, विघ्नहर्ता, काबिल, योग्य नेता ने अपनी पकड़ बनाये रखी और देश को निरंतर विकास के पथ पर जमाये रखा…

आज भारत अपने इतिहास के सबसे सुनहरे दौर में प्रवेश कर चुका है और भारत को मिल रहा वैश्विक सम्मान इसका परिचायक है… !

अमेरिका में स्थापित होने जा रहा एक चुका हुआ, मंद, नाकाबिल और कमजोर नेतृत्व हमारे मोदी साहेब को और सुनहरे मौके देगा जहाँ मोदी अपनी सोच की जड़ों को और गहराई तक जमा देंगे अमेरिका के साथ मिल कर अमेरिका में….

अब अमेरिका को मोदी के रूप में एक सशक्त साथी मिलेगा जो अमेरिका को और मजबूती देगा जो उसे चीन से मिलने वाली चुनौतियों से लड़ने में काम आएगी….!

ट्रम्प या हेलेरी…. जो भी अमेरिका का प्रेजिडेंट बने..

आने वाले 10 साल अगर कोई दो देश जो “दो जिस्म एक जान” वाली कहावत को सही साबित करेंगे वो होंगे भारत और अमेरिका….

और इसके एक तरफ मोदी होंगे ये तय है, दूसरी ओर जो कोई भी हो कोई फर्क नहीं पड़ेगा….

“हैप्पी दीवाली…. भारत की, ओबामा की, UN ऑफिस की”

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