हिंदू मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह रत्नों में से एक शंख की उत्पत्ति छठे स्थान पर हुई. शंख में भी वही अद्भुत गुण मौजूद हैं, जो अन्य तेरह रत्नों में हैं. दक्षिणावर्ती शंख के अद्भुत गुणों के कारण ही भगवान विष्णु ने उसे अपने हस्तकमल में धारण किया हुआ है.
शंख मुख्यतः दो प्रकार के होते ह्रैं : वामावर्ती और दक्षिणावर्ती. इन दोनों की पूजा का विशेष महत्व है. दैनिक पूजा-पाठ एवं कर्मकांड अनुष्ठानों के आरंभ में तथा अंत में वामावर्ती शंख का नाद किया जाता है. इसका मुख ऊपर से खुला होता है.
इसका नाद प्रभु के आवाहन के लिए किया जाता है. इसकी ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है. वैज्ञानिक भी इस बात पर एकमत हैं कि शंख की ध्वनि से होने वाले वायु-वेग से वायुमंडल में फैले वे अति सूक्ष्म किटाणु नष्ट हो जाते हैं, जो मानव जीवन के लिए घातक होते हैं.
शंखनाद एक प्रकार की साधना है. किसी भी महत्वपूर्ण अवसर पर शंखनाद करने से वह भविष्य में नई बात का उद्घाटन करता है. नूतन बालक का मुखदर्शन, प्रपौत्र मुखदर्शन, वर-वधू मुखावलोकन, असामान्य व्यक्ति के आगमन तथा नित्यपूजा की महाआरती के प्रारंभ आदि अवसरों पर शंखवाद अवश्य करना चाहिए.
शंखनाद की कला एक दिन में अवगत नहीं होती. शंख के मुख पर अपना मुख लगाते समय होंठों को आवश्यक रचना, दबाए श्वास का प्रमाण, मन की एकाग्रता एवं इच्छा शक्ति की प्रबलता-इन चार प्रमुख बातों का उचित मेल होना चाहिए तभी शंख से ध्वनि निकलती है.
यदि इनमें से एक भी बात थोड़ी कमजोर हो जाए तो शंख से अपेक्षित ध्वनि नहीं निकलती. शंखनाद के लिए शंख खरीदते समय आपके साथ किसी जानकार व्यक्ति को अवश्य होना चाहिए. कारण-शंख की आवाज किस पटृटी में है, क्या वह सहज रूप से ध्वनित होती है तथा शंख किस जाति का है आदि बातें शंख का ज्ञाता ही जान सकता है.
गीता के प्रथम अध्याय में वर्णित पांचजन्य, अनंत विजय, पौंड्र, सुघोष एवं मणि पुष्पक शंख आज भी बाजार में उपलब्ध हैं. इसके विशेष गुण-धर्म भी दृष्टिगोचर होते हैं. किसी भी जाति का शंख होने के बावजूद उसकी ध्वनि के विविध लाभ प्राप्त होते हैं.
शंखनाद जहां घोषणा का प्रतीक है वहीं वह श्वास से संबंधित रोगों को भी समाप्त करता है. शंखघोष से निकलने वाला ओम का महानाद मानसिक रोगों की निवृत्ति करता हुआ कुंडलिनी जागरण का सशक्त साधन बनता है.
यह शरीर के समूचे तंत्रिका तंत्र को उद्वेलित करता है. इसमें प्रसुप्त तंत्र जागृत होता है, शंखनाद से समूचे वातावरण की शुद्धि होती है. इसका स्पंदन शुभ और सतोगुणी क्रियाशक्ति का संचार करता है.
प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि वाणी संबंधी विकार भी शंखनाद के सतत अभ्यास से नष्ट हो जाते हैं. शंखनाद के लिए उपयोग में लाए जाने वाले शंख में मुंह पर चांदी मढ डालें. यह शंख पूजाघर में न रखकर बाजू में तिपाई पर रखें.
पूजा के समय शंख को अंदर-बाहर से पीले कपड़े द्वारा पोंछकर साफ कर लें. उस पर गंध एवं फूल चढाएं. तुलसी पत्र भी रखें. शंख पर अक्षत न चढाएं. शंख से भगवान पर पानी न छोडें. शंख को तिपायी पर रखते समय उसका मुंह अपनी ओर होना चाहिए.
शंखनाद करने के बाद शंख का मुख स्वच्छ कर लें. गर्भवती स्त्रियों को शंखनाद का अधिकार नहीं है. कारण-शंख फूंकते समय अवयवों पर तनाव आने से गर्भ पर विपरीत प्रभाव पडता है. इसके अलावा गर्भवती स्त्री को नजदीक से शंख की तेज आवाज भी नहीं सुननी चाहिए.
शंखनाद की औषधीय विशेषता
महाभारत के युद्ध के अवसर पर भगवान कृष्ण ने पांचजन्य निनाद किया था. कोई भी शुभ कार्य करते समय शंख ध्वनि से शुभता का अत्यधिक संचार होता है. शंख की आवाज को सुन कर लोगों को ईश्वर का स्मरण हो आता है.
शंख वादन के अन्य लाभ भी हैं. इसे बजाने से सांस की बीमारियों से छुटकारा मिलता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बजाना विशेष लाभदायक है. शंख बजाने से पूरक, कुंभक और प्राणायाम एक ही साथ हो जाते हैं.
पूरक सांस लेने, कुंभक सांस रोकने और रेचक सांस छोड़ने की प्रक्रिया है. आज की सबसे घातक बीमारी हृदयाघात, उच्च रक्त चाप, सांस से संबंधित रोग, मंदाग्नि आदि शंख बजाने से ठीक हो जाते हैं.
घर में शंख वादन से घर के बाहर की आसुरी शक्तियां भीतर नहीं आ सकतीं. यही नहीं, घर में शंख रखने और बजाने से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं.
दक्षिणावर्ती शंख सुख-समृद्धि का प्रतीक है. इसका मुख ऊपर से बंद होता है.
अगर आपको खांसी, दमा, पीलिया, ब्लड प्रेशर या दिल से संबंधित मामूली से लेकर गंभीर बीमारी है तो इससे निजात पाने का एक सरल और आसान सा उपाय है- प्रतिदिन शंख बजाइए.
शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है.
प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं हो सकते.
शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है.
शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का भी व्यायाम हो जाता है.
शंख वादन से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है.
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