आज दीप पर्व है पर साथ ही 30 अक्टूबर का दिन भी है … 30 अक्टूबर 1990, आज बचपन का काला दिन याद आ गया…
कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में निहत्थे रामभक्त कारसेवकों पर अधाधुंध गोलियां बरसाकर डायर के कुकृत्य को भी मात दे दिया था.
उस दिन अयोध्या की पतित पावनी सरयू सलिला, कार सेवकों के रक्त से लाल – लाल हो गयी थी. सरकारी आंकड़े चाहे जो कहें पर कार सेवकों की लाशों को ट्रक में भर – भर कर फेंका गया था, मरने वाले राम भक्तों की संख्या हजारों में थी …
अयोध्या की गलियों ने इस दिन बाबर द्वारा किये गए नरसंहार को पांच सौ साल बाद पुनः देखा था …वहां की पवित्र माटी, राम भक्तों के रक्त से सरोबार हो लोहित कीचड़ में बदल गई थी ..
वाह रे उत्तर प्रदेश की जनता, उसी मुलायम सिंह यादव को आपने बार- बार सत्ता सौंपते रहे…
बिकी हुयी मीडिया हर दूसरे दिन गुजरात पर स्यापा करती है ..एक इखलाक की लाश का सौदा करने के लिए सभी न्यूज़ रूम मझली बाजार बन जाते हैं …पर हजारों कार सेवकों का रक्त पात कभी किसी को याद नहीं आता.
याद भी कैसे आये, आखिर जनता की निष्ठा हमेशा खरीददार के प्रति होती है और वह अरब से आने वाले पेट्रो डालरों में बिक चुकी है …..
आइये नतशीश हो, उन समस्त अमर धर्म पुरुषों को श्रद्धासुमन अर्पित करें जिन्होंने 26 वर्ष पूर्व हिंदुत्व रक्षार्थ आज ही के दिन अपने प्राणों की आहुति दी थी ….
हिन्दुओं हो सके तो इस दीपावली पर एक दीपक उन हुतात्माओं के नाम भी जला दीजिएगा ….
दीपावली की अनंत शुभकामनावों के साथ …
धन्य हैं जो शोडित धारा से, माटी को लोहित कर जाते हैं
युगों युगों तक जीवित रहते, कुल को शोभित कर जाते हैं..
धर्म चिता में जल कर जो, रण में शीश दान कर जाते हैं
अमर सदा हैं शूरवीर वो, सुरपुर में देवों की पदवी पाते हैं..
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