मुंबई. यूं तो जेल जाने के नाम से बड़े से बड़े अपराधी को भी कंपकंपी छूटती है, ऐसे में अगर बिना अपराध किए जेल जाने की बात हो तो घबराहट स्वाभाविक है.
हरएक के मन में बचपन से ही जेल की ऎसी भयावह तस्वीर उकेर दी जाती है कि व्यक्ति जहां एक ओर इसके नाम से भी डराने लगता है, वहीं दूसरी तरफ उसके अवचेतन में इसके प्रति उत्सुकता भी बनी रहती है.
लेकिन अब इसमें घबराने या परेशान होने की कोई बात नहीं है. जल्द ही आप बिना अपराध के, सिर्फ घूमने-फिरने के लिहाज़ से जेल जा सकेंगे.
अक्सर सामान्य लोग सोचते हैं कि जेल के अंदर कैदी कैसे रहते हैं? उनका रहन-सहन कैसा होगा?
तो जनसामान्य की इसी उत्सुकता के शमन के लिए सरकार जेल-पर्यटन शुरू करने जा रही है और जल्द ही लोग जेल के अंदर जाकर कैदियों की दुनिया से रूबरू हो सकेंगे.
जेल पर्यटन की शुरुआत महाराष्ट में भी शुरू होगी. महाराष्ट्र जेल प्रबंधन के अधिकारी ने बताया कि जेल को आम नागरिकों के लिए खोलने की तैयारी चल रही है.
सुरक्षा के बिंदुओं पर विचार चल रहा है. इस योजना के तहत ऐसी जेलों को पर्यटन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा जिनका कोई इतिहास रहा होगा.
जानकारी के मुताबिक़ जेल को आम नागरिकों के लिए हफ्ते में चुनिंदा दिनों के लिए खोला जाएगा.
महाराष्ट्र में कुल 30 छोटी-बड़ी जेल हैं. इनमें से कुछ ही जेलों को नागरिकों के लिए पर्यटन स्थल के तौर पर खोला जाएगा.
इन जेलों में येरवडा जेल सबसे ऊपर है. इस जेल में आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी, नेहरू, वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेना बंद थे.
दुनिया भर में जेल पर्यटन का चलन है. दक्षिण अफ्रीका का रॉबेन आइलैंड जहां नेल्सन मंडेला कैद थे, विश्व के पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है.
इसी तरह सैन फ्रांसिस्को की जेल भी बहुत मशहूर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस जेल से भाग पाना बहुत मुश्किल है.
भारत में अंडमान की सेल्यूलर जेल, जहाँ स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर लंबी कैद में थे, पर्यटकों को आकर्षित करते रही है.