आजकल बड़ी चर्चा है सोशल मीडिया में कि हर कोई चीनी सामान का बहिष्कार कर रहा है. यूँ कहा जा रहा है कि इस दीपावली की खरीदारी पे चीनी सामान की बिक्री में 45 % तक की कमी आयी है. इसका आंकड़ा शायद दिल्ली में बैठे उन थोक विक्रेताओं ने निकाला होगा जिनके गोदाम में आज दीवाली की पूर्व संध्या पे भी लगभग 45 % सामान बचा हुआ है.
असली आंकड़ा तो तब निकल के आयेगा जब वो फुटकर दुकानदार अपना stock मिलाएंगे ……. कितना माल बच गया …… तो असली आंकड़ा निकल के आयेगा. देश में स्वदेशी की लहर बह रही है.
इस बीच बहुत से लोग हम स्वदेशी वालों का मज़ाक उड़ा रहे हैं , ये कह के कि पटेल की मूर्ती तो 3000 करोड़ में चीन में बन रही है और नागपुर की मेट्रो 900 करोड़ में चीन की कंपनी बना रही है और तुम दो कौड़ी के मोदी भक्त 20 रु की लड़ी का बहिष्कार करते फिर रहे हो ???????
ऐसे लोगों को टिप्पणी करने से पहले थोड़ा ज्ञान अर्जन करने की ज़रूरत है.
अंतरराष्ट्रीय trade के नियम कानून समझौतों संधियों को समझने की ज़रूरत है. मुझे याद है , 90 के दशक में जब congress के PV Narsimha Rao की सरकार और उनके वित्त मंत्री यही सरदार मनमोहन सिंह जब WTO की संधि पे हस्ताक्षर करने जा रहे थे.
तब ये अधिकाँश लकड़बग्घे अभी पैदा भी नहीं हुए थे जो आज हमको मोदी भक्त कहते हैं. दुर्भाग्य से तब न सोशल मीडिया था और न गूगल महाराज थे और न ये SMS whatsapp थे ……. फिर भी हम लोगों ने बहुत बवाल किया था इस WTO की संधि के खिलाफ.
उन दिनों भी अपनी औकातानुसार हम लोगों ने बहुत गला फाड़ा था , बहुत स्वदेशी स्वदेशी चिल्लाये थे. पर तब ये कांग्रेसी और communist हमको बैलगाड़ी युग के दकियानूसी लोग कह के खारिज कर देते थे. मुझे याद है तब इन चीन पोषित communists ने WTO की इस संधि के पक्ष में कितना माहौल बनाया था और अंततः हमारे तमाम विरोधों को दरकिनार कर PVNR की भारत सरकार ने WTO पे हस्ताक्षर कर दिए.
अब ये जान लीजिए कि आप इस अंतराष्ट्रीय वाणिज्य व्यापार की संधि से बंधे हुए है. अब आपकी सरकार किसी विदेशी माल या विदेशी कंपनी को आपके बाज़ार में घुसने से रोक ही नहीं सकती ……..
जिस काम के global tender निकलेंगे उसमे दुनिया की कोई भी कंपनी बशर्ते कि उसके देश पे sanctions न लगे हों , आपके देश में आ के कोई भी काम project हथिया लेगी ……. आप और आपकी सरकार कुछ नहीं कर सकते.
मने चीन का सामान आपके देश में न आये इसका इंतजाम भारत सरकार नहीं कर सकती ……
क्योंकि वो WTO की संधि के नियमों से बंधी है.
पर दुनिया की कोई संधि आपको वो सामान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकती.
अब आइये ज़रा आपको आपकी औकात भी बता दूं.
पटेल की मूर्ती बनाने का ठेका तो सरकार ने Larsen & Toubro को दिया है जनाब जो कि एक स्वदेशी कंपनी है. पर इस देश में किसी की औकात नहीं है कि धातु की इतनी बड़ी मूर्ती जो की शायद दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ती होगी, उसे ढाल सके.
ये औकात चीन ने हासिल की है. इसलिए L&T ने वो मूर्ती टुकड़ों में ढालने का ठेका चीन की एक कंपनी को दिया है जिसे वहाँ से ला के यहाँ assemble किया जाएगा.
दुनिया से मुक़ाबिल है , औकात पैदा कर ……..
चीन की कंपनी में औकात है कि वो आपकी नाक के नीचे से आपकी कंपनियों को पछाड़ के Metro का टेंडर ले गयी.
रही बात 20 रु की लड़ी की , तो 20 रु की लड़ी का बहिष्कार अगर 10 करोड़ लोग कर दें तो 200 करोड़ हो जाते है. यदि भारत देश सचमुच चीन के सामान का बहिष्कार कर दे तो साल भर में कई लाख करोड़ का नुक्सान होगा चीनी अर्थव्यवस्था को.
देश की असली ताक़त आपकी सरकार के हाथ नहीं बल्कि आपके हाथ है.
अपनी औकात को 20 रु से नहीं बल्कि 20× 1,25,00,00,000 ( सवा सौ करोड़ ) से जोड़ा कीजिये. सवा सौ करोड़ लोग जिस दिन 20 रु का नुक्सान चीन को करेंगे, चीन घुटनो के बल बैठ जाएगा आपके सामने.
वैसे जानते हैं कि सवा सौ करोड़ लोग 20 रु का नुक्सान चीन को करें तो कितनी रकम हुई?????
2500 करोड़ रुपया …..
पता चली अपनी उस 20 रु की लड़ी की औकात ?
2500 करोड़ रु ……..