अंततः कांग्रेस ने कह ही डाला… बेटा… हमें तुम्हारे लच्छन सही नहीं लग रहे…. तुमसे न हो पायेगा.
उत्तरप्रदेश कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर प्रियंका वाड्रा को यूपी में चुनाव प्रचार करने के लिए मना लिया है.
पर सब कुछ इतना आसान और सीधा सरल सपाट है नहीं, जितना दीखता है.
राहुल गांधी ने अपने ताबूत में आखिरी कील तब ठोकी, जब खून की दलाली वाला बयान दिया.
दरअसल इस बयान ने यूपी चुनाव में सर्जिकल स्ट्राइक को मुद्दा बना दिया.
कांग्रेस ने अपनी पिछली गलतियों से कुछ नहीं सीखा आज तक.
मोदी एक शब्द पकड़ के पूरा चुनाव लड़ जाने में माहिर हैं.
मौत के सौदागर,
नफरत की खेती,
नीच,
और अब खून की दलाली….
ये एक वाक्य यूपी में समूचे विपक्ष के गले की हड्डी बन गया है. कल वाराणसी में भी मोदी ने सेना के पराक्रम का ज़िक्र कर दिया.
मोदी सर्जिकल स्ट्राइक के बहाने पूरी उत्तरप्रदेश में घूम घूम कर 66 इंच का सीना दिखाएँगे. इस स्ट्राइक ने मोदी का कद बहुत बढ़ा दिया है.
कांग्रेस में राहुल के प्रति निराशा इस खून की दलाली वाले बयान के बाद उपजी.
कांग्रेस की समस्या ये है कि उसके पास नेता ही नहीं है. वो अपने परिवार में ही नेता खोजने को अभिशप्त है.
पर इसमें एक भयानक पेच है. कांग्रेस ने अमित शाह को घर में घुसने का रास्ता दे दिया है.
मुझे ताज्जुब नहीं होगा यदि कांग्रेस में भी बहुत जल्दी समाजवादी ड्रामा दोहराया जाए.
यदि राहुल को किनारे कर प्रियंका को आगे लाया गया तो राहुल गांधी के चेला चप्पड़ों को उकसा कर अधिकारों का युद्ध शुरू हो सकता है. या शुरू कराया जा सकता है.
यूँ भी अमित शाह इस खेल में बड़े माहिर हैं. राहुल को किनारे कर प्रियंका को ऊपर लाना इतना भी आसान नहीं.