जब महाकवि हांफने लगे,
और महापुरुष खांसने लगे,
तो समझो चुनाव आ गया है.
जब राहुल दिखे दाढ़ी में,
और प्रियंका दीदी साड़ी में,
तो समझो चुनाव आ गया है.
जब रवीश गाड़े खूँटा यूपी/बिहार में,
और बताये ‘जात का है इनकी/उनकी’ विस्तार में,
तो समझो चुनाव आ गया है.
जब चैनल दिखाएं सर्वे/पूर्वानुमान,
और ठेलने लगे सैफोलॉजी का ज्ञान,
तो समझो चुनाव आ गया है.
जब नेता जाने लगे अपने क्षेत्र में सहर्ष,
और करने लगे जनता जनार्दन के चरण स्पर्श,
तो समझो चुनाव आ गया है.
जब नेता करने लगे वायदों की बौछार,
और विपक्षी ग्रुप को बताये गद्दार,
तो समझो चुनाव आ गया है.
- मनीष कुमार