हमारे बनारस में चौक थाना के आगे मजार है. मजार के आगे लस्सी की दूकान है. लस्सी की दूकान के आगे बाएं गली जाती है. गली के अंदर राजा दरवाजा में इत्र की दूकान है जहाँ से हम इत्र खरीदते हैं.
2014 आम चुनाव के समय की बात है. एक दिन दुपहरी में हम इत्र लेने पहुँचे तो देखा कि खत्री जी की दूकान के सामने पान की दूकान पर एक प्लास्टिक की बाल्टी रखी थी जिस पर लिखा था- ‘मोदी सबके गोदी’.
ये पढ़ के मजा तो आया मगर अर्थ समझ में नहीं आया. हो सकता है किसी ने शरारत में लिखा हो. आज ढाई साल बाद के परिदृश्य में उस बाल्टी पर लिखा वह वाक्य सटीक बैठता है.
चूंकि बनारस में भोजपुरी लोक भाषा है अतः उसी अर्थ में देखा जाये तो दो अर्थ निकलते हैं –
1. मोदी सबके गोदी में बैठेगा, जो कि सही भी है. अमेरिका, रूस, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिक्स से लेकर बांग्लादेश तक सबने मोदी को गोद में बैठाया है. अपने देश में भक्त हो या न हो, सबकी उम्मीद और नाउम्मीदी दोनों का केंद्र मोदी है.
2. मोदी सबको गोदेगा. गोदने का मतलब चुभना या चुभाना. कमभक्त, अभक्तों को मोदी चुभता है, पाकिस्तान-कांग्रेस-ठग मण्डली-एनजीओ-प्रेश्याओं को उसी प्रकार दर्द होता है जैसे किसी ने सूए से गोद दिया हो.
आज टीवी चैनलों की बौखलाहट देखिये. सपा में मचे घमासान से उन्हें सबसे ज्यादा चिंता है. पानी पी-पी कर कोस रहे हैं कि ‘नेटाजी’ ये नहीं कर पाये, वो नहीं कर पाये, कुनबा नहीं संभाल पाये वगैरह.
इतनी पीड़ा क्यों है भई? सपा तो क्षेत्रीय दल है. यूपी के बाहर नेटाजी को कौन जानता है? दरअसल इन न्यूज़ चैनल वालों को गोदने का दर्द महसूस हो रहा है.
आज से 5 साल पहले आज तक और NDTV में 50% हिस्सेदारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की थी. ये जानकारी विकिपीडिया पर साफ दीखती थी, बाद में किसी ने एडिट कर दिया.
इन्हें डर है कि आगामी यूपी के चुनाव में कहीं सपा कमजोर न पड़ जाये और भाजपा को फायदा न हो जाये जो कि अवश्यम्भावी है.
ऊपर से आज मोदी ने तीन तलाक वाली ट्रिपल नोक वाली सुई भी घुसा दी है. दर्द तो होगा ही.