बात 2008 की है, जब कहा था आज से तुम्हारा नाम विनय+नायक = विनायक होगा और तब एक भेद बाद में खोला गया था मेरे सामने कि विनायक नाम मेरे मुंह से यूं ही नहीं निकला था…. शिवरात्रि के दिन माता-पिता का विवाह हुआ और गणेश चतुर्थी के दिन ही विनायक अर्थात विनय नायक इस धरती पर अवतरित हुए और मुझे रिद्धि के साथ सिद्धि बनकर इस विनायक की वामांगी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ…
लेकिन बात यहीं तक सीमित होती तो बात ही कुछ और होती, इस विघ्नहर्ता ने उन दिनों “विघ्नकर्ता” के नाम से ब्लॉग बनाया जिसकी पञ्च लाइन थी ..”विनाश और विध्वंस नए सृजन के लिए’, जनाब की फेसबुक ID में भी विघ्नकर्ता ही लिखा आता है….
यथा नाम तथा गुण.. इन आठ सालों में पग पग पर मेरी संस्कारगत धारणाओं को ध्वस्त किया, अपने ही तथाकथित व्यक्तित्व का अपनी आँखों के सामने मैंने विध्वंस होते देखा…. और फिर जब जब खुद को आईने के सामने खड़ा पाया अपने ही नए रूप को देखकर अचंभित होती रही…
लेकिन ये जो विध्वंस की प्रक्रिया होती है जीवन की सबसे कठिन परीक्षा होती है .. 35 साल से सहेजी गयी मेरी अपनी धारणाओं के साथ इतनी आसक्ति हो गयी थी कि उनके टूटने के साथ हर बार मैं खुद भी टूटती रही … निराशा के घोर अन्धकार में बब्बा (ओशो) द्वारा दिया गया मेरे नाम जीवन का तुमने हर बार साक्षात दर्शन करवाया …
ये प्रक्रिया अब भी जारी है… अब भी निराशा घेर लेती है लेकिन अब मैं साक्षी भाव से उस प्रक्रिया से गुज़रती हूँ और प्रतीक्षा करती हूँ कि ये “विघ्नकर्ता” इस बार किस तरह विध्वंस करके मेरे नए रूप का सृजन करने वाला है…
और बब्बा (ओशो) ने जो नाम इस विघ्नकर्ता को दिया है ध्यान उसी ध्यान की गहराइयों में उतरकर मुझे ऊर्जा के उस रूप का दर्शन होता है जिसे तुम “शक्ति” कहते हो और मैं कहती हूँ “जादू”.
– विनायक की सिद्धि को विघ्नकर्ता का जन्मदिन मुबारक रहे
(रेखा के चित्र के लिए बॉलीवुड के ख्यात फोटोग्राफर जयेश शेठ का आभार)