विनायक – हाँ नायिका!!! है ना कमाल कि ज़िंदा हो!!!! लेकिन ऐसा लग रहा है, हो नहीं!!!! मरनेवाले के लिए कहा जाता है कि भगवान को प्यारा हो गया, गणेश को भी तो भगवान ही मानते है ना??
देखो खजराना जा कर!!!!!
नायिका – मर गई नायिका…………. खजराने वाले गणेशजी, क्या मरने के बाद भी मुझे पैदल पैदल तुम्हारे मंदिर तक आना होगा? यमराज से कहकर किसी दूत को भेजकर उठवा लो….. कोई भूत भी होगा तो चलेगा…..

सूत्रधार – जी नमस्ते!! पहचाना मुझे?? मैं यमराज द्वारा भेजा गया भूत!!! अब क्या करें??? पहुँचाना है नायिका को उसके नायक के पास या ये प्यार, ये मस्ती जिसे लोग सायबर लव के नाम से पुकारने लगे हैं…. इसे सायबर लव ही रहने दें? करने देते हैं तू-तू मैं-मैं दोनों को बस कहानी यहीं ख़त्म, भई आप लोगों के हिसाब से तो सायबर लव का यही हाल होता है, थोड़ी मस्ती, थोड़ी छेड़खानी, थोड़ी फ्लर्टिंग….. फिर तुम अपने घर मैं अपने घर….. !!!!!
भैया नायक ऊर्फ विनायक ऊर्फ मोटू ऊर्फ गट्टू ऊर्फ …. पता नहीं किस किस नाम से तो पुकारती है नायिका तुम्हें…. हाँ तो क्या करना है आप ही बता दें… हमारे पाठक आपके इस ई-मेल ई-मेल खेल से बोर हो गए हैं… इसमें अब इनको न रोमांच नज़र आ रहा है न कसावट…
और एक भाई साहब को तो आप लोगों से कोफ्त होने लगी है…. पूरी कोशिश में लगे हैं कि जैसे भी हो आपसे झगड़ा करवा के रहेंगे…
… ख़ैर छोड़ो आप तो ये बताएँ कब तक ये ख़तों का सिलसिला चलता रहेगा… नायिका से कहो ज़रा फोन शोन लगाए… अरे नहीं तो कम से कम मेसेंजर पर ही बात कर लें ….
क्यों भई सही कहा कि नहीं???
नायिका – रूको तो कुछ गड़बड़ की तुमने….
विनायक – क्या गड़बड़ हो गई?? मेरे मेसेज नहीं मिल रहे क्या?
नायिका – अरे….. वो Falling heart वाला environment आया फिर reply window गायब…
तुमने मेसेंजर का environment change किया तो कुछ गड़बड़ हो गई… मैं reply कहाँ दूँ… पहली बार तो मेसेंजर use कर रही हूँ options भी नहीं पता है :((((((((((
क्यूँ परेशान करते रहते हो………..तुम्हारे मेल मिल रहे हैं मुझे reply window नहीं मिल रही मैं कहाँ लिखूँ??? बू हू हू हू :(((((((((
चले गए???
कितनी बार कहा है बता कर जाया करो….
मैं जाऊँ????
विनायक – लो मैं आपको ब्लॉग की दुनिया का मेरा अमिताभ बच्चन कहता हूँ और मेरे अमिताभ बच्चन को मेसेंजर पर बात करना भी नहीं आता..
बहुत रात हो गई है अब तक तो तुम सो गई होगी ना??? नींद उड़ जाए तेरी चैन से सोने वाले….
दो बड़े नाज़ुक से शे’र मिले हैं –
वादा किया था आपने, आएँगे ख़्वाब में,
मारे ख़ुशी के नींद न आए तो क्या करूँ?
नींद पत्थर के बिस्तर पर भी आ जाएगी,
शर्त ये है कि सिरहाना तेरी बाहों का हो
अब दो और, बस आखिरी दो-
तुम ख़यालों में सही आवाज़ देकर देखना,
घर के बाहर मैं तुम्हें आता हुआ मिल जाऊँगा
ग़र तसव्वुर भी मेरे इक शे’र का तुमने किया
मैं सुबह घर की दीवारों पे लिखा मिल जाऊँगा
5 मिनिट बाद तारीख़ बदलने वाली है, उसके पहले एक और-
आए जो तेरा ज़िक्र किसी की ज़ुबां पर,
हो ग़ैर भी तो चूम लूँ मुँह इस बयान पर
2 मिनिट और बचे हैं देखें कितना लिख पाता हूँ?
मुझको मालूम नहीं हुस्न की तारीफ़ मगर,
मेरी नज़रों में हसीन वो है जो तेरे जैसा है
दो-चार लफ्ज़ कह के मैं ख़ामोश हो गया
वो मुस्कुरा के बोले, बहुत बोलते हो तुम
बस अब ये सच्ची मुच्ची का आख़िरी-
इतनी मिलती है सूरत से तेरी गज़ल मेरी
लोग मुझको तेरा महबूब समझते होंगे
अब मैं भी कोशिश करने जा रहा हूँ सोने की. सुबह पता चलेगा कि कितनी लम्बी रात थी….
आता हूँ, नायिका,
– विनायक