अभी तक आप मिले सूत्रधार से, और पढ़े नायक और नायिका के एकदूसरे को लिखे ख़त “तुम कौन हो?” और “प्रिया” …..
…..बिल्कुल …आपकी उलझन बिल्कुल सही कि एक तरफ तो सूत्रधार का कहना है कि नायिका और नायक की पहली मुलाकात बाकी है और दूसरी तरफ ये बाद की पोस्ट से लग रहा है जैसे दोनों एक दूसरे को बरसों से ही नहीं कई जन्मों से जानते हैं…..
अरे तो मैं हूँ ना आपकी सारी उलझनों के हल के लिए…. जैसे हमारी बॉलीवुड की फिल्मों में कई दृश्य FLASH BACK में चलते हैं, वैसे ही हमारी यह कहानी FLASH FORWARD में चल रही है…. जी हाँ यहाँ पर बीच-बीच में वो दृश्य दिखाए जा रहे हैं जो आगे घटनेवाले हैं…
भई अब हमारे ब्लॉग की लव स्टोरी है, फिर सबसे अलग भी है, तो उसका प्रस्तुतिकरण भी तो सबसे अलग होना चाहिए ना!!!
हाँ तो सबसे पहले मिलिए नायिका से……. नायिका है, तो भई खूबसूरत तो बनानी ही पड़ेगी……….
हाँ तो खूबसूरत तो है ही साथ ही एक अच्छी-सी मल्टीनेशनल कंपनी में किसी अच्छे-से ओहदे पर कार्यरत भी है…………. आपको उसका यह प्रोफेशन पसंद हो तो ठीक वर्ना आप जो कहें उस ओहदे पर बैठा देंगे…. आखिर सूत्रधार तो आप भी हैं…
कहानी में कई दौर ऐसे भी तो आएँगे जब नायक और नायिका किसी दोराहे पर खड़े होंगे और आपको उनकी मदद के लिए आना होगा…. आखिर 8 रोटी का सवाल है…. वो तो आपके ही द्वार पर मिलेगी……….
आप कहें तो चित्रकार बना देते हैं….
अब जब लव स्टोरी ब्लॉग से जुड़ी हुई है तो क्यों न उसे ब्लॉगर बना देते हैं, अरे भई जब अमिताभ बच्चन तक ब्लॉग बना रहे हैं, अर्थात जब बॉलीवुड तक ब्लॉग में आ गया है तो हमारे नायक और नायिका भला क्यों न समय के साथ चलें?
तो नायिका का भी है एक ब्लॉग.
हाँ तो हमारी नायिका भी आजकल के कम्प्यूटर युग की है …. मल्टीनेशनल कंपनी में काम भी करती हैं और एक लेखिका भी है……… लिखने-पढ़ने की शौकीन…………..
नायिका – ये क्या कह रहे हो? शौकीन? लो शुरुआत ही गलत……….. जो अपने शब्दों को अपने आँसुओं से सींचकर, साँसों में लपेटकर पाठकों के सामने रखती है, उसे शौकीन कहकर उसकी तौहीन न करें, कहें कि लेखन मेरी आत्मा है….
सूत्रधार – लीजिये ‘नायिका’ का नाम लिया नहीं कि हाज़िर …. (थोड़ी-सी तुनक मिजाज़ भी है, बकौल नायक “उतावली” है)…. तो पाठकों हमारी नायिका का लेखन कैसा है शौकिया या सच में आत्मा से सींचा हुआ… ये तो आप ही तय करेंगे…. कहा ना मैं तो सिर्फ आपकी मदद के लिए हूँ….
अरे !! नायिका की ऐंट्री हुई है और उनके ब्लॉग का दौर चल रहा है तो उनकी कोई रचना भी तो पढ़ी जाए. तो पढ़िए ये कविता, हमारी नायिका की ऐंट्री पर………..
तुम तुम तुम
***********
तुम हो, बहुत दूर, मगर सबसे करीब
भरी दोपहर में खिड़की से झाँकती धूप की तरह,
अंधेरी रात में झाड़ियों के पीछे से बोलते
झींगुर की आवाज़ की तरह,
अलमारी में करीने से रखीं किताबों
के पीछे रखे पुराने खत की तरह,
दोस्तों के बीच खड़े
किसी पुराने किस्से की यादों की तरह
तुम जो पिता की बातों की तरह
तुम जो भाई के स्नेह की तरह,
तुम जो दोस्त के साथ की तरह,
तुम जो दुश्मन के वार की तरह
हर वक़्त, हर पल मेरे साथ हो
आज लग रहा है
तुम्हें समेट लूँ
और छुपा लूँ अपनी कोख में,
या छाती से लगाकर खूब प्यार दूँ,
तो ख्याल आता है
कौन करता है स्वीकार
ऐसे रिश्ते को
जहाँ मैं एक ही व्यक्ति के साथ
सारे रिश्ते जोड़ती हूँ..
फिर सोचती हूँ
किसे दिखाना है?
क्या दिखाना है?
प्यार के रिश्ते का कोई भी नाम हो सकता है
चलो छोड़ो, रहने भी दो, हम बेनाम ही अच्छे…