Rekha The Untold Story : आईना है मेरा चेहरा, अपनी तस्वीर तू देख ले

हर देवता में कुछ मानवीय गुण होते हैं और हर मानव में कुछ असुर तत्व, इससे हम उसे देवता या मानव होने से पदच्युत नहीं कर सकते. वैसे ही किसी पुरुष में स्त्री तत्व प्रबल हो जाता है, तो कभी किसी स्त्री में पुरुष तत्व प्रबल हो जाता है, तो हम उसे उसके पुरुष या नारी होने से पदच्युत नहीं कर सकते.

बस उसके व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है. कभी कोई पुरुष नारी की तरह कोमल ह्रदय होकर समर्पण कर देता है तो कोई नारी पुरुष की भांति आक्रामक हो जाती है.

रेखा जन्मोत्सव की सीरिज़ लिखते हुए मुझसे कुछ लोगों ने रेखा और उसकी महिला सेक्रेटरी के बीच समलैंगिक संबंधों के बारे में पूछा, तो मैं उपरोक्त बातों के द्वारा उसकी पुष्टि तो कर सकती हूँ, लेकिन साथ में ये भी कहना चाहूंगी, जब रेखा के जीवन में घटित हुई घटनाओं को प्रस्तुत करते हुए मैंने किसी भी पुरुष का नाम लिखने की आवश्यकता नहीं समझी, तो यहाँ पर भी मैं इस बात का ज़िक्र आवश्यक नहीं समझती.

सेलेब्रिटी का जीवन कितना भी सार्वजनिक हो जाए “कुछ” तो हर व्यक्ति का बहुत व्यक्तिगत होता है, जिसे पार करने का दुस्साहस हम उसकी आज्ञा के बिना नहीं कर सकते. और मुझे अभी तक ऐसी कोई आज्ञा लेने की आवश्यकता अनुभव नहीं हुई. जिस दिन होगी ले भी लूंगी. लेकिन वो रेखा और मेरे बीच का साझा क्षण होगा, जब मैं अपना कोई राज़ उसे सौंप दूंगी और वो अपना कुछ निजी मुझे सौंप कर किसी बात से भारहीन हो जाएगी.

ये भी मैं इतने आत्मविश्वास से इसीलिए कह रही हूँ क्योंकि मैं प्रकृति के सामने रखी कामना पूर्ति के जादू को बहुत शिद्दत से अनुभव कर सकी हूँ.

किसी मित्र ने एक बहुत सुन्दर सन्देश मुझे लिख भेजा जिसे मैं आपके सामने प्रस्तुत करना चाहूंगी-

“एक्ट्रेस रेखा पर लिखे लेख वाकई में अद्भुत है, ऐसा लगता है मानों  कि जो ज़िंदगी रेखा जी रही है या तो आप उनके साथ थी या आपने बहुत करीब से महसूस किया हो… ”

तो मैं यही कहना चाहूंगी एक स्त्री होने की अनुभूति और अनुभवों से गुजरने की जिस पीड़ा को भोगना होता है, वो पूरी औरत जात के लिए एक ही तरह की होती है.

हालांकि स्त्री एक कल्पवृक्ष होते हुए भी उससे कई शाखाएं निकलती हैं, जिसमें कुछ पतिव्रता, कुशल गृहणियां पूरी तरह से इस बात को अंगीकार नहीं कर पाती या फिर कोई आधुनिक बाला जिसके लिए कोई भी प्रेम आत्मा को गहरे से नहीं छू पाता, उसके लिए भी समझना मुश्किल होगा. फिर अपवाद कहाँ नहीं होते.

औरत प्रेम को सतहों में नहीं बांटती, उसके लिए हर प्रेम सिर्फ प्रेम होता है, जहां हर बार पूरा समर्पण, हर लांछन पूरा अनुभव और हर विरह पूरी की पूरी पीड़ा होती है. और रेखा के लिए ये बात पूरी शिद्दत से मैंने अनुभव की है.

क्योंकि रेखा एक आईना है, कल प्रेम से भरकर देख रहे थे तो उसमें आपको प्रेम नज़र आ रहा था, आज नफरत से भरकर देखोगे तो आपको नफरत नज़र आएगी, रेखा तो कल भी आईना थी आज भी आईना है.

पूरी नफरत के साथ पत्थर उछालोगे तो वो टुकड़े-टुकड़े तो हो जाएगी लेकिन आपका प्रतिबिम्ब भी उसमें उतने ही टुकड़ों में बंट जाएगा. वो तो टुकड़े होकर भी खरोंच तक नहीं देगी जब तक कि आप अपन प्रतिबिम्ब निकालने की कोशिश में उन टुकड़ों को छूने का प्रयास नहीं करोगे.

और यह बात रेखा पर ही नहीं हर औरत पर लागू होती है… औरत हमेशा एक आईना है, आप प्रेम से भरे रहोगे तो प्रेम दिखेगा नफरत से भरे रहोगे तो नफरत दिखेगी.   कभी किसी औरत पर पत्थर उछालो तो पूरी शिद्दत से उछालना, आईना चूर होगा तभी तो तुम भी उससे मुक्त हो पाओगे. वरना अपने ही प्रतिबिम्ब से लड़ते-लड़ते थक जाओगे.

रेखा के लिए निदा फ़ाज़ली की एक रचना मुझे याद आती है-

वो किसी एक मर्द के साथ

ज्यादा दिन नहीं रह सकती

ये उसकी कमजोरी नहीं

सच्चाई है

लेकिन जितने दिन वो जिसके साथ रहती है

उसके साथ बेवफाई नहीं करती

उसे लोग भले कुछ भी कहें

मगर !

किसी एक घर में

जिंदगी भर झूठ बोलने से

अलग अलग मकानों में सच्चाई बिखेरना

ज्यादा बेहतर है ।

माँ जीवन शैफाली

चित्र साभार बॉलीवुड फ़ोटोग्राफ़र जयेश शेठ

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