यूं तो परमात्मा से साक्षात्कार के लिए आप सीधे उसका द्वार खटखटा सकते हैं. लेकिन गुरु इस बात में दक्ष होते हैं कि प्रभु किस तरह की प्रार्थना से जल्दी प्रसन्न होते हैं. और किस द्वार से जाने से प्रभु जल्दी मिल जाएँगे.
इसलिए गुरु मात्र एक झीना पर्दा है भक्त और प्रभु के बीच… पर्दा उठा और परमात्मा का साक्षात्कार हुआ.
ऐसे ही एक गुरु हैं परम पूजनीय श्री मुरारी बापू जो भक्तिमार्ग से प्रभु का दर्शन करवा देते हैं. मुझे न जाने क्यों तुलसीदास का ही पुनर्जन्म लगते हैं. क्योंकि तुलसी दास रामायण पढ़ते थे तब हनुमान साक्षात राम कथा सुनने आते थे. ऐसा ही भाव मुरारी बापू में दिखाई देता है… जिनको सुनते हुए यदि आपकी आँखों से अश्रुधारा नहीं बह निकले तो समझना कहीं आपमें ही भक्तिभाव की कमी रह गयी है.
एक और बात इस बात की पुष्टि करती हुई लगती है कि वो ज़रूर किसी पुण्य आत्मा का पुनर्जन्म होंगे. वो है बापू काली कम्बली वाले बाबा की तरह हमेशा कंधे पर एक काला कम्बल डाले रहते हैं. या तो वे स्वयं सिद्ध आत्मा कम्बली वाले बाबा का पुनर्जन्म हैं जिसका ज़िक्र श्री एम की पुस्तक हिमालयवासी गुरू के साए में में भी मिलता है.
या फिर सुनने में ये भी आता है कि स्वयं हनुमान ने उनकी कथा सुनने के बाद उन्हें ये कम्बल आशीर्वाद स्वरूप दिया है जिसे वो हमेशा अंगसंग लगाए रखकर ही प्रवचन देते हैं. हालांकि बापू अन्य पुण्यात्माओं की तरह इस रहस्य को हँसते हुए छुपा जाते हैं.
सिद्ध पुरुषों के जीवन में कई रहस्य ऐसे होते हैं जिन्हें उजागर करने की अनुमति उन्हें नहीं होती या उन्हें उजागर करने का एक निश्चित समय होता है तभी वो प्रकट हो पाती है. इसलिए कई बार मोरारी बापू प्रवचन के समय ऐसी बात बोल जाएंगे, जो आपको अचंभित कर देगी. फिर खुद ही कहेंगे – “ये किस्सा आपको किसी पुस्तक या ग्रन्थ में नहीं मिलेगा. लेकिन एक साधु के मुंह से निकला हर शब्द सच होता है.”
अब इसका अर्थ वही समझ सकता है जिसने इस रहस्यमयी दुनिया की ज़रा भी झलक पाई हो. और जो सनातन धर्म की श्रुति परंपरा को जानता हो. इसलिए ऐसी कोई बात जब किसी संत के मुंह से सुनो तो उसे आत्मा से ग्रहण कर लेना चाहिए, क्योंकि वो बात ना फिर कभी दोहराई जाएगी, ना ही किसी पुस्तक में मिल पाएगी.
श्री एम की पुस्तक एक योगी का आत्मचरित पढ़ते हुए उन्होंने कई जगह इस बात का ज़िक्र किया कि कैसे उनकी ज़ुबान पर जैसे ताला लग जाता था… वो चाहकर भी उनके साथ होनेवाले रहस्यमयी घटनाओं को किसी को बता नहीं सकते थे.
ऐसे ही कुछ रहस्य मुरारी बापू ने अपने अन्दर छुपा रखे हैं, जिन्हें वो प्रत्यक्ष रूप से कभी उजागर नहीं करेंगे… लेकिन आप सच में प्रभु मार्ग में मिलने वाले रहस्यों को जानना चाहते हैं तो उनके सत्संग को पूरी तरह आत्मसात कीजिये..
चाहे शेरो शायरी या ग़ज़ल रूप में हो या फ़िल्मी गीत पर उनका भक्तिभाव से राम कथा कहना… मुरारी बापू केवल कानों से सुने जाने वाली शख्सियत नहीं है… उन्हें तो आत्मा से सुनना पड़ता है तभी आप उनकी रहस्यमयी दुनिया में प्रवेश पा सकेंगे और फिर आँखों से निकल पड़ेंगे कृतज्ञता के आंसू. तब आपका प्रेम और आपकी प्रतीक्षा रंग लाएगी और परमात्मा के दर्शन होंगे.
– दर्शानाभिलाषी माँ जीवन शैफाली