लड्डू …. यह नाम सुन कर मुंह में पानी न आए तो समझइये कि कुछ तो गड़बड़ है. लड्डू मुझे पसंद हैं यह कहना कोई असामान्य बात नहीं है और बात अगर राजगिरे के लड्डू की हो तो बात ही कुछ ओर है.
बचपन से ही कई तरह के लड्डू देखें हैं – बेसन के, मोतीचूर के, मालवा में खासतौर से चर्चित मावा मिश्री के, तिल के लड्डू आदि-आदि. शादी लड्डू मोतीचूर का कहावत सुन कर शादी के ख्यारल कम जीभ पर मोतीचूर के लड्डू की चाशनी पगी मिठास जरूर तैरी है.
बचपने के ऐसे दौर में जब-जब राजगिरे के लड्डू देखता तो यह नहीं समझ पाता कि पूरे आकार और आयातन में होने के बाद भी इनका वजन कम क्यों है? क्या ही बेहतर होता कि वजन के हिसाब से लड्डू का आकार होता तो अधिक संख्या में उदरस्थ कर पाता.
बचपन की ऐसी ही सोच ने बाद में पुख्ता अवधारणा बनी कि जो भीतर से पुष्ट होता है, वह उतना ही सहज और सरल भी होता है.
ऐसी अवधारणा इसलिए भी बनी कि राजगिरे का लड्डू आकार में किसी से कम नहीं है तो पोषण में भी अपनी बिरादरी के हर प्रकार से आगे ही है. पोषण विज्ञान बताता है कि इसमें भरपूर प्रोटीन होता है. वैश्विकरण के बाद जब दुनिया एक गांव में तब्दील हुई तो भारतीय शाकाहारी व्यंजनों पर यह कहते हुए नुक्स निकाले गए कि यहां प्रोटीनयुक्त आहार की कमी है.
ये तंज कसने वाले क्या जाने कि राजगिरा न केवल प्रोटीन का बेहतर स्रोत है बल्कि इसमें डाएटरी फाइबर, मिनरल में आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, कॉपर और विशेषकर मैंगनीज़ पर्याप्त मात्रा में रहता है.
बचपन में तो पता ही नहीं था लेकिन अब जब गुगल सर्च करता हूं तो यह जानकर हैरत में पड़ जाता हूं कि राजगिरा लाइसिन से भरपूर होता है और इसमें ज़रूरी अमीनो ऐसिड रहता है जो किसी भी सब्ज़ी के प्रोटीन के स्रोत में मिलना मुश्किल है.
सबसे अच्छी बात यह है कि आप राजगिरे को दूसरे अनाज जैसे मकई के साथ मिलाएंगे तो असाधारण अमिनो ऐसिड का ऐसा संतुलन बनेगा जो मांस और दूध से भी कहीं ज़्यादा बेहतर होगा.
अगर हम अपनी आहार में इसे हफ्ते में एक बार भी शामिल करते हैं तो इसके कई लाभ होंगे. ऐसे लाभ जिन्हें हम जानते ही नहीं. हम प्राकृतिक चिकित्सा को मानने वाले देश के वासी हैं. मुझे उस सेहतमंद सोच पर गुमान होता है जिसने सदियों पहले राजगिरे को उपवास के दौरान खाए जाने वाले आहार की सूची में शामिल किया.
यह अकेला भरपूर पोषण देता है अत: किसी ओर सहायक सामग्री की आवश्यकता ही नहीं रहती. कम निवेश में अधिक लाभ. तले हुए गरिष्ठन आहार की तुलना में अधिक सेहतवान और कम कैलोरी वाला आहार.
शायद ही कारण है कि हमारे देश समाज ने इसका नाम रामदाना (भगवान का दाना) रखा. जब यह भोगशाली जीवनचर्या का हिस्सा बना तो राजगीरा यानि शाही अनाज कहलाया.
अंग्रेजी शब्द है ऐमरंथ ग्रेन. कहा जाता है कि इस शब्द का उद्भव संस्कृत से हुआ है. जिसका तात्पगर्य है ‘मृत्यु की संभावना को कम करना’. विशेषज्ञों की मानें तो राजगिरा खाना कोलेस्ट्रोल, हाइपरटेंशन कम करने में सहायक है. ऐसे दौर में जब हार्ट अटैक और हाईपर टेंशन हमारे युवाओं की जान के सबसे बड़े दुश्म न बने हुए हैं तो यह हुआ न मृत्युट की संभावना कम करने वाला आहार?
इन गुणों को याद कर बार-बार यह अवधारणा पुख्ता होती है वज़न में हल्का होना मायने नहीं रखता, मायने रखता है आपका गुणों में भारी होना. अब जब भी राजगिरे का लड्डू खाएं, उसके इन गुणों का जयकार जरूर करें.
– पंकज शुक्ला