मोगा, पंजाब में जन्मे सूबेदार जोगिन्दर सिंह 23 अक्टूबर, 1962 को तवांग में सिख रेजिमेंट की एक पल्टन का नेतृत्व कर रहे थे.
परिस्तिथियाँ अनिष्टसूचक थीं, क्योंकि थोड़ी दूर पर चीनी सैनिकों का बड़ी संख्या में जमावड़ा हो रहा था.
तवांग पर कब्ज़ा करने के इरादे से चीन ने करीबन 200 सैनिकों के द्वारा चौकी पर भीषण हमला बोल दिया.
चीनी सेना संख्या में अत्याधिक और उच्चतर हथियारों से लैस थी. साथ ही उन्हें तोपों से सहायक गोलाबारी भी मिल रही थी.
परन्तु सूबेदार जोगिन्दर सिंह हथियार डालने के इरादे नहीं पाल रहे थे. तवांग का दुश्मन के हाथों में जाना उन्हें स्वीकार्य नहीं था.
उन्होंने अपनी पल्टन का साहसवर्धन किया और एक चट्टान की प्रकार दुश्मन का मार्ग अवरुद्ध किया. वीरता के साथ दुश्मन के आक्रमण को भारी क्षति पहुँचाई और उसे वापस हटना पड़ा.
परन्तु दुश्मन पुनः संगठित हुआ और फिर हमले की तरंग सूबेदार जोगिन्दर सिंह की पलटन से जा टकराई. इस बार तोपों के मुँह की अनवरत भारी गोलाबारी से चौकी पट गयी.
आधे से ज्यादा पल्टन काल के गाल में समा गयी. परन्तु सूबेदार जोगिन्दर सिंह ने पीछे हटने से इनकार कर दिया और पल्टन ने दुश्मन को एक इन्च भी आगे नहीं बढ़ने दिया.
साथ ही दुश्मन के दूसरे हमले को भी विफल किया. दुश्मन ने तीसरी बार जब उनकी पल्टन पर हमला बोला तो प्रत्युत्तर के लिए उनके पास ज्यादा कुछ बचा नहीं था.
स्वयं भी गंभीर रूप से घायल हो जाने के बावजूद सूबेदार जोगिन्दर सिंह ने मशीनगन संभालते हुए दुश्मन पर निशाना साधा और 50 से ज्यादा दुश्मनों को मौत के सुपुर्द कर दिया. परन्तु स्वयं के सैनिकों की मृत्यु को अनदेखा करते हुए दुश्मन सेना ने हमला जारी रखा.
जब सूबेदार जोगिन्दर सिंह की पल्टन के पास गोलियाँ तक समाप्त हो गयीं तो उन्होंने “जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल” की युद्धनाद की और खाली बन्दूक में Bayonet (संगीन) लगा कर ही अपनी पल्टन के साथ दुश्मन पर टूट पड़े और कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया.
जब दुश्मन ने सूबेदार जोगिन्दर सिंह पर नियंत्रण पाया तो वे घायल और थके हुए अवश्य थे परन्तु उनमें लड़ने की इच्छा तब भी प्रबल थी. गंभीर रूप से घायल सूबेदार जोगिन्दर सिंह की बाद में युद्ध बंदी शिविर में मृत्यु हुई.
अपने प्रेरणादायक नेतृत्व, अटल साहस, सेवानिष्ठा, के लिए सूबेदार जोगिन्दर सिंह को परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया.
इस परमवीर को मेरा सलाम.
जय हिन्द!!!
जनरल (रि) वी के सिंह की फेसबुक पोस्ट से साभार