एक फेसबुक मित्र 3 दिन पहले पिता बने. पहला शिशु. मुझे इनबॉक्स कर पूछा कि डॉक्टर ने शिशु को नवजात शिशु का पीलिया हो जाने की वज़ह से रोज़ाना धूप में रखने कहा है.
लेकिन धूप में रखने की वज़ह से उसकी आँखें लाल हो गयी हैं. मैंने उन्हें छोटा सा उत्तर दिया वो यह कि आज की पोस्ट पढ़ लेना.
क्योंकि इस महत्वपूर्ण विषय पर आप सभी को पता होना चाहिए क्योंकि बहुत से चिकत्सकों को यहाँ तक कि शिशु रोग विशेषज्ञों (खासकर पुराने) को भी यह नया वैज्ञानिक पहलू नहीं पता है.
नवजात शिशु का पीलिया
तथ्य एवं भ्रांतियां truth vs myth:
लगभग 90 प्रतिशत शिशुओं को कम या ज़्यादा पीलिया होता है. यह पीलिया बच्चों एवं बड़ों को होने वाले पीलिया से बिल्कुल ही अलग प्रकार होता है. इस पीलिया को बीमारी भी नहीं कहा जाना चाहिए जब तक कि एक सीमा से ज़्यादा न हो.
इसका सम्बन्ध लिवर की बीमारी से नहीं होता, जैसा कि बच्चों एवं बड़ों में होता है.
नवजात शिशु का पीलिया एक तरह से प्रकृति का बेहतरीन मैकेनिज्म है शिशुओं को फ्री रेडिकल जैसी नुकसानदायक चीज़ों से बचाने का. अतः कुछ हद तक यह लाभकारी भी है.
ज़्यादातर नवजात शिशु का पीलिया जन्म के तीसरे दिन से सातवें दिन तक बढ़ता है फिर खुद ब खुद कम हो कर दसवें दिन तक ठीक हो जाता है. इसमें unconjugated bilirubin की मात्रा सामान्यतः 7 से 15mg /dl के बीच होती है.
किन्तु एक सीमा से ज़्यादा मात्रा होने पर शिशु को उपचार की ज़रूरत होती है. लगभग 10 प्रतिशत शिशुओं को इलाज़ देना होता है. इसमें शिशु के वज़न, कितने दिन का है, बिलिरुबिन का क्या स्तर है जैसी बातों के आधार पर निर्णय लेना होता है.
क्या खतरा है बहुत ज़्यादा पीलिया बढ़ने पर
सीरम बिलिरुबिन 20 के ऊपर पंहुचने पर बिलुरिबिन के मस्तिष्क में पंहुचने का खतरा बढ़ जाता है, खासकर कम माह के शिशुओं में. मस्तिष्क में पंहुचने पर जीवन भर की मानसिक एवं शारीरिक विकलांगता अ सकती है और शिशु की मृत्यु भी हो सकती है.
किन्तु आज के आधुनिक युग में ऐसे केसेस होना बेहद कम हो गए हैं जब तक कि माता पिता लापरवाही से शिशु को दिखायें ही न.
इलाज़: phototherapy, यह शब्द आपने सुना होगा. या नीली लाइट में रखना. नवजात शिशु का पीलिया नीली लाइट में रखने से कैसे ठीक हो जाता है??
Serum bilurubin एक रासायनिक तत्व है, पीलिया में यही बढ़ जाता है. नवजात शिशु में मौज़ूद सीरम बिलुरिबिन, नीली लाइट से कम इसलिए होता है क्योंकि ख़ास तरह की ये लाइट्स 425 से 475 nm तरंगदैर्घ्य की किरणें नीले प्रकाश के रूप में शिशु पर डालती हैं.
इस लम्बाई की किरणों के लगातार कई घंटों तक बिना कपड़ों की त्वचा पर पड़ने से रक्त में मौज़ूद बिलीरुबिन में रासायनिक प्रक्रिया होती है, जिसका नाम है फ़ोटोइसोमेरिज़शन और फ़ोटोऑक्सिडेशन. इससे यह बिलुरुबिन बदल कर शरीर से निकल पाता है.
अब यहीं पर इस बड़ी भ्रान्ति का समाधान है. वह यह कि लोग समझने लगे यहाँ तक कि चिकित्सक भी कि लाइट ही तो है धूप से भी यही प्रक्रिया होगी तो शिशु को धूप दिखाई जाये कुछ देर. लेकिन यह एक अवैज्ञानिक धारणा है.
क्यों???
क्योंकि पहली बात तो 425 से 475 nm की किरणें धूप से नहीं मिलतीं. फिर इस रासायनिक परिवर्तन जिसे photoisomerisation कहते हैं के लिए कई घंटे (लगभग 24 घंटे) चाहिए तब जा कर बिलुरुबिन 2 से 6 mg / dl तक घटेगा. वो भी बिना कपड़ों की त्वचा के.
तो न तो बच्चे को उघाड़ कर दिन भर आप चिप्स की तरह धूप में सुखा सकते हैं. और ऐसा कर भी जाएं तो बिलुरिबिन पर ज़्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. बनिस्पत आँखों को, रेटिना को धूप की किरणों से नुकसान पंहुच सकता है. या उघाड़ा बच्चा ठण्ड में शरीर का तापमान गिरने का शिकार हो सकता है.
धूप दिखाने से पीलिया इस वज़ह से कम होता दिखता है सिर्फ क्योंकि वह अपने आप 90 प्रतिशत शिशुओं में कम हो रहा होता है. धूप को क्रेडिट मिल जाता है.
अतः पीलिया ज़्यादा न हो ( आपके शिशु रोग विशेषज्ञ सिर्फ देख कर बता सकते हैं) तो सिर्फ इंतज़ार करें कुछ दिन.
ज़्यादा हो तो बिलुरुबिन की जांच करवायेंगे आपके डॉक्टर और ज़रूरी होने पर फ़ोटोथेरेपी की सलाह देंगे. जिससे आम तौर पर 1 से 3 दिन में शिशु ठीक हो जायेगा, कोई और समस्या भी न हो तो.
पीलिया अत्यधिक होने पर शिशु का खून बदलना पड़ता है. 12 वर्ष पहले मैंने भी बहुत से शिशुओं का खून बदला लेकिन अब बेहद अच्छी लाइट्स आ जाने से इसकी ज़रूरत बहुत ही कम पड़ती है.
हमेशा की तरह आपको ठीक लगे तो इस लेख को भी सेव करें, शेयर करें , किसी के काम आ सकता है. मरीजों के खुद updated रहने से उन्हें अच्छा चिकित्सक चुनने में मदद मिलती है.
(लेख आधुनिक सत्यापित शोधों के आधार पर है, यह डिस्क्लेमर इसलिए क्योंकि आप धूप की सलाह बहुत से चिकित्सकों से भी सुनेंगे, जो कि दरअसल updated न रहने की वज़ह से मिलती है.)
(चित्र – पीलिया से ग्रस्त नवजात शिशु का, Phototherapy से पहले एवं बाद का)
Mere bhanje ko v piliya hua h docter n uska blood chnge kia h h aur phr v uska piliya bd rha h.. Koi solution bataye