कल्पना कीजिए… आपकी ये बहूरानी जब 2 साल की रही होगी तब कितनी प्यारी और गोलू मोलू सी रही होगी… और मेरी मम्मी मुझे प्यार से बुलाकर कहती होगी बहूरानी इधर आओ….
नहीं, नहीं तब तो केवल रानी थी बहू तो बाद में बनी… तो रानी इधर आओ… देखो अब तुम 2 साल की हो गयी हो अब तुम्हें बोलना आ जाना चाहिए… चलो आज से हम हिन्दी व्याकरण पढ़ेंगे ताकि तुम स्कूल जाने से पहले व्याकरण सहित हिन्दी बोलना सीख जाओ…
अब जब इस रानी को बोलना ही नहीं आता होगा तो वो ख़ाक अपनी मोटे थुल थुल पेट वाली माँ की बात समझ पाई होगी… लेकिन माँ तो माँ होती है… उसकी ममता की भाषा अलग ही होती है उसके लिए किसी व्याकरण की आवश्यकता नहीं पड़ती… तो रानी को इतना समझ आया कि माँ कोई अच्छी बात बता रही है तो वो ध्यान से सुनने लगी..
तो माँ ने शुरू किया नाम, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया….
1 साल में माँ ने अपनी रानी बिटिया को हिन्दी का पूरा व्याकरण समझा दिया फिर कहा अब बोलो… अब तुमने भाषा सीख ली है….
और ये रानी पता है आज इतना क्यों चबर चबर बोलती है? क्योंकि व्याकरण सीखने के बाद भी रानी एक शब्द भी न बोल पाई और माँ ने सर पीट लिया… एक साल की मेहनत गयी पानी में…
तो जनाब इतनी सारी चबर चबर का मतलब ये हुआ कि पहले ही दिन से व्याकरण सिखाकर हम जीवन भर किसी को संस्कृत नहीं सिखा पाएंगे…
घर में छोटा सा बच्चा है उसको सबसे पहले आपकी बॉडी लैंग्वेज समझाने के लिए जिन शब्दों की आवश्यकता होती है हम पहले वो सिखाएंगे….
हाँ हाँ मैं जानती हूँ यहाँ कोई छोटे बच्चे नहीं.. लेकिन किसी भी भाषा को सीखने के लिए जब तक हम एक छोटा बच्चा नहीं बन जाएंगे तब तक हम कुछ नहीं सीख पाएंगे….
तो शुरू करो संस्कृताक्षरी लेके प्रभु का नाम….
माँ रानी से खुद की ओर इशारा करते हुए कहती है – ‘अहं’ तो रानी को समझ आता है – मैं…
रानी की ओर इशारा करती हुई माँ कहती है ‘त्वं’ – तो रानी को समझ आता है तुम..
माँ – अहम् गच्छामि – (मैं जा रही हूँ)
रानी – त्वं गच्छामि…
(तुम जा रही हो)
न गच्छतु – (मत जाओ)
माँ – अहं अथ आगच्छामि – मैं अभी आती हूँ…
रानी को समझ आया कि मोटे थुलथुल पेट वाली माँ… जाने के लिए गच्छामि बोलती है और आने के लिए आगच्छामि….
तो वो भी माँ के पीछे पीछे दौड़ लगा देती है…. अहम् आगच्छामि…… माते… अहम् आगच्छामि…
आपके पास भी ऐसे छोटे-छोटे किस्से हों, जिससे संस्कृत का आधारभूत ज्ञान प्राप्त हो सके, तो अवश्य लिख भेजिए…
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आइये पहले दिन हम आपको श्री मुकुन्द हमबर्डे जी की संस्कृत कक्षा में ले चलते हैं जो आपको आज दैनंदिन कार्यों में आने वाले वाक्यों का संस्कृत अनुवाद बता रहे हैं.
सम्भाषणार्थ सरलवाक्यानि –
नमस्ते/प्रणाम – नमस्ते, नमोनमः, नमस्कारः, प्रणामः .
धन्यवाद – धन्यवादः .
स्वागत है – स्वागतम् !
क्षमा करें – क्षम्यताम् !
कोई बात नहीं है/जाने दो – चिन्ता मास्तु .
कृपापूर्वक – कृपया .
फिर मिलेंगे – पुनः मिलामः .
हाँ – आम् .
ठीक है – अस्तु .
श्रीमान् जी, माननीय – श्रीमान्, मान्यवर, महाशय, महोदय —
पति को सम्बोधन – मान्यवर .
पत्नि को सम्बोधन – मान्ये !
अच्छा है – शोभनम् ! उत्तमम् !
आपका नाम क्या है ? – भवतः नाम किम् ? (पुल्लिंग)
(स्त्रीलिंग) – भवत्याः नाम किम् ?
मेरा नाम ‘ ‘ है – मम नाम ‘ ‘ .
यह मेरा मित्र है – एषः मम मित्र .
वह मेरा मित्र है – सः मम मित्र .
यह मेरी सहेली है – एषा मम सखी .
वह मेरी सहेली है – सा मम सखी .
आप कहाँ जा रहे हो ? – भवान् कुत्र गच्छति ?
आप कहाँ जा रही हो ? – भवती कुत्र गच्छति ?
मैं ‘ ‘ जा रहा हूँ – अहम् गृहं/ विद्यालयं/कार्यालयं/गच्छामि .
आप कहाँ से आ रहे/रहीं हो ? – भवान्/भवती कुतः आगच्छति ?
मैं ‘ ‘ से आ रहा/रही हूँ – अहं गृहतः/विद्यालयतः/कार्यालयतः आगच्छामि .
– बहूरानी