Double Life Of Veronique : एक लड़की, जो मरकर तितली बन गई

एक लड़की थी.

या शायद वह एक नहीं थी. वह एक होने के बावजूद दो थी. वह एक साथ दो जगहों पर जी रही थी, फिर भी अकेलेपन से घिरी थी, अकेले होने का अकेलापन नहीं बल्‍कि दो होने की तनहाई. एक क्‍लांत, कातर नहीं बल्कि दीप्‍त अर्थगर्भी एकांत. देवताओं के स्‍वप्‍नों में सहभागी होने का सुख लिए.

एक लड़की का नाम था वेरोनिका और वो वारसा में रहती थी. दूसरी का नाम था वेरोनीक और वो पेरिस में रहती थी. दोनों एक ही दिन जन्‍मी थीं. एक ही नाम, एक ही चेहरा, और लगभग एक सी नियति.

लगभग.

दोनों के दिल में छेद था. ऊंची पिच पर, सोप्रानो टोन में गाना गाना उनके लिए प्राणांतक था. फिर भी वे गाती थीं. बारिश में भींजते हुए, जब सभी तितर-बितर हो जाते, वे मुस्‍कराते गाती रहतीं. वेरोनीक म्‍यूज़िक टीचर थी, वेरोनिका भी म्‍यूज़िक जानती थी, अलबत्‍ता म्‍यूज़िक उसने कभी सीखा नहीं था. उसे हैरत होती कि यह कैसे हुआ था!

वेरोनिका को हमेशा लगता कि वह इस दुनिया में अकेली नहीं है, कि कोई उसके साथ बराबर उसकी जिंदगी को बांट रहा है, लेकिन यह दूसरा कौन है, वह बूझ नहीं पाती. बस हरी रोशनियां खिड़की में परदे की तरह टंगी रहती!

और एक दिन, उस दूसरी से उसका सामना हो जाता है. वह क्रॉकोव आई होती है कि अचानक एक चौराहे पर उसे वेरोनीक दिखाई देती है. वेरोनीक तस्‍वीरें खींच रही होती है, उसके अस्‍त‍ित्‍व से पूरी तरह अनजान. वेरोनिका उसे देखकर सहसा मुस्‍करा देती है.

वह समझ जाती है कि उसे अब तक जो महसूस होता था, वह कोई वहम नहीं, एक सच्‍चाई थी. कि वह सचमुच अकेली नहीं थी. या शायद, वह अपने दो होने के अहसास भर में ही अकेली थी : एक पवित्र रहस्य जिसे किसी से बांटा नहीं जा सकता था.

वेरोनिका क्रॉकोव से वारसा लौट आती है. एक कंसर्ट में कोइर गाते समय एक ऊंचा सुर उसके दिल को छलनी कर देता है. वह मंच पर गिर जाती है. हम देखते हैं कि पीली शाम के पारदर्शी झुटपुटों सी उसकी चेतना उसकी देह से निकलकर श्रोताओं के सिर के ऊपर से निकल जाती है : भारहीन और प्रभामयी.

पेरिस में वेरोनीक को सहसा महसूस होता है कि कहीं कुछ टूट गया है. कि वह शोक में है, लेकिन उसे समझ नहीं आता कि ऐसा क्‍यों हो रहा है. क्‍या कोई था जिसकी मृत्‍यु की सूचना उस तक पहुंची थी, लेकिन साफ़ शब्‍दों में नहीं.

वह कठपुतली का खेल दिखाने वाले एक नौजवान से प्‍यार करती है, जो किन्‍हीं गुप्‍त संकेतों के माध्‍यम से उस तक पहुंचता है : जूते का एक फीता, टेपरिकॉर्डर में दर्ज कुछ आवाज़ें और कांच की एक चिलक. वह वेरोनिका के गिर्द एक कहानी रचता है, जिसमें एक वेरोनिका जब नाचते हुए थककर पस्‍त हो जाती है और नीचे गिर पड़ती है तो दूसरी वेरोनिका तितली बनकर हवा में तैरने लगती है.

वेरोनीक अपने प्रेमी को क्रॉकोव में खींची तस्‍वीरें दिखाती है, जिसे देखकर उसका प्रेमी कहता है : अरे, जब तुम तस्‍वीरें खींच रही थीं तो तुम ख़ुद इन तस्‍वीरों में कैसे हो.

वेरोनीक आश्‍चर्य से तस्‍वीरों को ध्‍यान से देखती है. भीड़ के बीच से वेरोनिका उस पर नज़रें जमाए उसे दिखाई देती है. वह फ़ौरन समझ जाती है कि यह वही थी, जिसे बचपन से अब तक वह अपने साथ महसूस करती आ रही थी! कि वह एक नहीं थी लेकिन अब शायद वह एक रह गई थी. कि जिसके लिए वह शोक में थी, वह उसका स्‍वयं का एक और पहलू था : उसकी आत्‍मा का दूसरा टुकड़ा, जो अब इस दुनिया में नहीं है और उसे अब अकेले ही जीना होगा. सचमुच का अकेलापन, जिसमें अब दो होने का अकेलापन शुमार नहीं है.

यह क्रिस्‍तॉफ़ किस्‍लोव्‍स्‍की की फ़िल्‍म “डबल लाइफ़ ऑफ़ वेरोनीक” है.

बोर्खेशियन विज़न से भरी हुई फ़िल्‍म, क्‍योंकि बोर्खेस को हमेशा यह महसूस होता था कि उसका कोई प्रतिरूप इस दुनिया में मौजूद है और उसकी कहानियों में बहुधा उसकी अपने प्रतिरूपों से मुठभेड़ हो जाया करती थी.

फिर भी यह पूरी तरह से किस्‍लोव्‍स्‍की की फिल्‍म है. किस्‍लोव्‍स्‍की का स्‍पेस हमेशा दूसरों की मौजूदगियों से ग्रस्‍त रहा आया है, उसकी फिल्‍मों में हमेशा आपको ऐसे लोग नज़र आते हैं, जो आप पर नज़र बनाए हुए हैं. यह द्वैधा उसको मथती रहती थी.

इस फिल्‍म में वह उस द्वैधा के चरम पर चला गया है, जहां उसने अन्‍य को भी आत्‍म में बदल दिया है. या कहें, अन्‍य को एक अन्‍य आत्‍म में. क्‍या यही वजह नहीं थी कि वेरोनिका हमेशा शीशे में अपने प्रति‍बिम्‍बों से टकराया जाया करती थी, कांच की गेंद से दूसरी दुनिया को देखती हुई?

परीकथाओं-सी, जादुई, सम्‍मोहक फ़िल्‍म. 1991 में जब यह फ़िल्‍म रिलीज़ हुई थी, तो इसने समीक्षकों को हैरान कर दिया था. अलौकिक आभा, लोकेतर संकेतों और स्‍वप्‍न‍िल लैंडस्‍केप से भरा एक विज़न.

एक दूसरे ही स्‍केल पर चलने वाली सिम्‍फ़नी, जो ख़ुद से हमारे रिश्‍ते को गहरे भीतर तक बदल देती है. यह मेरी पसंदीदा किस्‍लोव्‍स्‍की फ़िल्‍म है, उसकी जो कुल सोलह फ़िल्‍में देखीं, सभी की सभी बेजोड़, उनमें अग्रगण्‍य.

अनगिनत खुफिया संकेतों और अदृश्‍य इशारों से भरा किस्‍लोव्‍स्‍क‍ियन सिनेमा यहां अपने मेटाफ़रिक चरम पर चला गया है. “डबल लाइफ़ ऑफ़ वेरोनीक” के बाद सिनेमा का सौंदर्यशास्‍त्र वही नहीं रह जाता है, उसे हमें नए सिरे से लिखने पर मजबूर होना पड़ सकता है, उसमें एक किस्‍लोव्‍स्‍क‍ियन प्रवर्तन को जोड़ते हुए.

अंद्रेई तारकोव्‍स्‍की के बाद आधुनिक सिनेमा का यक़ीनन सबसे क़द्दावर फ़िल्‍मकार.

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