प्रकृति से खिलवाड़ : किसी भी कोशिका से बन जाएगा इंसानी एग और स्पर्म, चूहे पर सफल प्रयोग!

अभी तक पुराणों की कथा में सुना था कि त्रेता युग में ऐसे राक्षस भी होते थे, जिनके रक्त की हर एक  बूँद से एक एक राक्षस पैदा हो जाता था. सुनने में यह कथा पूरी तरह कपोल कल्पित लगती है.

पर अब जो ताज़ा रिसर्च चीन, जापान, अमेरिका और स्पेन में हो रही है, उनके आधार पर  यह कहना अब सम्भव होता जा रहा है कि रक्त की एक एक बूँद ही नहीं अब तो त्वचा या शरीर की किसी भी एक जीवित कोशिका में विशेष जीनस् की पूँछ बनाकर जीव कोष में जोड़कर कल्चर करके वीर्य की कोशिका और भ्रूण के लिए आवश्यक अण्डा बनाया जा सकता है. इस तरह  एक ही आदमी या एक ही औरत की त्वचा की लिंविंग सैल से “एग” और “स्पर्म” दोनों ही बनाए जा सकते हैं.

अर्थात अब भविष्य में एक अकेला पुरूष या एक अकेली स्त्री अपनी स्वंय की कोशिका से बच्चे का भ्रूण बनाकर कृत्रिम किन्तु सचमुच की असली सन्तान पैदा कर सकते हैं. यानि आने बाले समय में अब लोगों को जन्म देने के लिए ‘माँ’ और ‘बाप’ दोनों की साथ साथ जरूरत नहीं रहेगी. अकेली माँ का अपना बच्चा हो सकता है इसी तरह अकेले बाप का बिना माँ के ख़ुद के सेल से बना स्पर्म और अण्डे  से बना बच्चा पैदा किया जा सकता है.

‘नेचर’ नामक प्रख्यात रिसर्च जनरल में उल्लेखित रिसर्च में वेलेन्सिअन इनफर्टिलिटी इन्स्टिट्यूट स्पेन के वैज्ञानिक “कार्ल्स सायमन” ने स्टेनफोर्ड विश्व विद्यालय अमेरिका के सहयोग से अपनी प्रयोगशाला मे सिर्फ़ एक माह में मनुष्य की त्वचा से एक सेल निकाल कर उसमें जीन की कोकटेल चिपका कर जब कल्चर किया तो अलग अलग स्थितियों में “एग” और “स्पर्म” बनकर तैयार हो गए.

अब उन्हें ऐसा तरीक़ा विकसित करना शेष है जब इन कृत्रिम एग और स्पर्म का संभोग करके भ्रूण तैयार हो जाएगा. और इस तरह उस भ्रूण से बना लड़का या लड़की पूरी तरह से अकेले पिता या अकेली माता की सन्तान होगी.

डा० कार्लोस सायमन को इस प्रकार अकेले पिता या अकेली माता से सन्तान पैदा करने का विचार सन 2012 में नोबेल पुरूस्कार विजेता जापानी वैज्ञानिक ‘शिनया यामानाका’ और बिट्रिश साइंटिस्ट ‘जॉन गोरडन’ के शोध कार्य से प्राप्त किया था जिन्होंने एक लिंविंग सेल से भ्रूण बनाने की प्रक्रिया की व्याख्या प्रतिपादित की थी.

शिनया यामानाका और जॉन गोरडन  की खोज को  आगे बढ़ाकर “नॉनझिंग युनिवर्सिटी” चीन के वैज्ञानिकों ने चूहे की चमड़ी से सेल निकाल कर  उसे कल्चर करके अलग अलग ‘एग’ और ‘स्पर्म’ तैयार कर लिए. फिर उनका संभोग करके चूही के गर्भाशय में स्थापित करके टेस्ट ट्यूब बेबी बनाने की तकनीक से एकल पितृ/ एकल मातृ की सन्तान के रूप में शिशु चूहा पैदा सफलता पूर्वक तैयार करके  बता दिया. कृत्रिम प्रणाली से बना चूहा पूरी तरह स्वस्थ और सामान्य है.

इस नई प्रयोगशाला की उपलब्धि से वैज्ञानिकों में नई चिन्ता उभरने लगी है. एकल पितृ या एकल मातृ जनित इस इन्सान का आचरण, मनोवैज्ञानिक स्तर तथा मानवीय संवेदनाओं की कैसी स्थिति कैसी रहेगी कोई नहीं जानता. ऐसा प्राणी निश्चित ही एकल पिता या माता की हुबहू ट्रू कॉपी होगी.

ऐसा व्यक्ति तकनीकी भाषा में “क्लोन” कहलायेगा. ऐसे हमशक्ल -क्लोन में क्या गुण होंगे. अगर यह प्रणाली पूरी तरह कामयाब हो गई तो सद्दाम हुसैन या उत्तरी कोरिया जैसे तानाशाह और ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकियों का कभी दुनिया से ख़ात्मा ही नहीं हो सकेगा.

  • डॉ राम श्रीवास्तव

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