राज ठाकरे और करण जौहर, दोनों पूरे फॉर्म में हैं. सेना का मान-सम्मान तो बाद की बात है, दोनों तरफ से अपनी अपनी गोटी सेट कर लेने के लिए हर संभव जुगत चल रही है.
अगर विरोध पाकिस्तानी कलाकारों से ही है – तो 5 करोड़ दे के कैसे उनकी मौजूदगी बेअसर हो जाएगी? और करण जौहर को अगर वाकई सेना के शहीद परिवारों की चिंता होती तो, पिक्चर रिलीज़ के हफ्ते भर पहले नहीं, उरी हमले के बाद ही उनकी देशभक्ति जाग गई होती. इसी लिए कह रहा हूं, सब अपनी अपनी गोटी सेट कर रहे हैं.
और गोटी सेट करने वालों में इन दोनों के अलावा सबसे आगे हैं वो लोग – जो कन्हैया कुमार के ‘सेना रेप करती है’ वाले बयान के बाद, घाटी में हुई ऐसी घटनाओं के आंकड़े जुटा के साबित करने में मंढ गए थे कि हाँ जी, सेना रेप तो करती है.
आज राज ठाकरे और करण जौहर की जंग में सेना का अपमान कचोट रहा है उन लोगों को जो विदेश में जा के ये भाषण देते हैं कि बुरहान वानी की तो भारतीय सेना ने हत्या कर दी.
सेना का अपमान कचोट रहा है उन लोगों को जो भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के दावे को झुठलाने के लिए हाफ़िज़ सईद के बयानों को भी गवाही के तौर पर पेश कर देने में शर्म महसूस नहीं करते.
आज सेना के अपमान की परवाह सबसे ज़्यादा उन्हीं लोगों दिख रही है जो विदेशी चिंतकों के कोट्स लिख लिख कर ये साबित करने में जुटे थे कि सेना के साथ खड़े होने में निष्पक्षता खतरे में आ जाती है.
व्हाट्सऐप फेसबुक पर कई दिन से एक मैसेज चल रहा है, कि देश के अंदर भी ऐसे लोगों के खिलाफ़ सर्जिकल स्ट्राइक करने की ज़रूरत है. बेशक है. लेकिन वो सर्जिकल स्ट्राइक देश के टीवी दर्शक करेंगे. अपने TV रिमोट से.
– रोहित सरदाना के फेसबुक पेज से साभार