टूट की राह पर सपा, अखिलेश ने किया शिवपाल की बैठक का बहिष्कार

लखनऊ. समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव द्वारा बलाई गई पार्टी की बैठक का मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बहिष्कार कर दिया. इस बैठक का न्यौता लेकर शिवपाल खुद अखिलेश के पास गए थे.

पार्टी के जिला पदाधिकारियों की इस बैठक में शरीक होने की बजाय अखिलेश ने अपने घर पर समर्थक मंत्रियों के साथ मंत्रणा की और जिला पदाधिकारियों से भी अपने आवास पर मुलाकात की.

मुख्यमंत्री के बैठक में शिरकत ना करने और पदाधिकारियों को अपने घर पर बुलाकर बातचीत करने से एक बार फिर संकेत मिले हैं कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है.

बैठक में शामिल कुछ पदाधिकारियों ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि शिवपाल ने चर्चा के दौरान कई बार यह बात समझाने की कोशिश की कि आगामी चुनाव के बाद अखिलेश के दोबारा मुख्यमंत्री बनने से उन्हें कोई तकलीफ नहीं होगी और विधानसभा चुनाव में अखिलेश ही सपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ शिवपाल यादव ने यहाँ तक कहा कि ‘आप कहें तो मैं स्टांप पेपर पर लिख कर दे सकता हूं कि अगर हम जीते तो सीएम अखिलेश यादव ही बनेंगे.’

रिपोर्ट्स के मुताबिक़ शिवपाल यहीं नहीं रुके, उन्होंने यह भी कह डाला कि यदि किसी को दिक्कत हो तो वह सूबे की पार्टी की कमान भी छोड़ने को तैयार हैं.

एक पदाधिकारी ने बताया कि शिवपाल ने सभी जिला पदाधिकारियों को चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह जुट जाने और आगामी पांच नवम्बर को लखनऊ में मनाये जाने वाले सपा के रजत जयन्ती समारोह को सफल बनाने के आदेश दिये.

यह बैठक खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री ने सभी जिलाध्यक्षों को अपने सरकारी आवास पर बुलाकर उनसे बात की.

इस संक्षिप्त बातचीत में अखिलेश ने उन्हें आगामी तीन नवम्बर को शुरू होने वाली अपनी विकास रथयात्रा के बारे में बताया.

उन्होंने जिलाध्यक्षों से अपने-अपने क्षेत्र में जनता के बीच जाकर काम करने के निर्देश देते हुए कहा, ‘सब कुछ ठीक हो जाएगा.’

उल्लेखनीय है कि अखिलेश ने पिछले दिनों सपा प्रमुख मुलायम सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि वह तीन नवम्बर से अपनी विकास रथयात्रा शुरू करेंगे. ऐसे में उनके पांच नवम्बर को होने वाले सपा के रजत जयन्ती समारोह में शिरकत की सम्भावनाओं को लेकर संदेह पैदा हो गया था.

सोशल मीडिया पर अखिलेश द्वारा ‘नेशनल समाजवादी पार्टी’ और ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी’ बनाये जाने और चुनाव आयोग से ‘मोटरसाइकिल’ का चिहन मांगे जाने की अटकलें लगातार बढ़ रही हैं.

अखिलेश चाहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण का अधिकार उन्हें दिया जाए और वह इससे कम पर समझौता करने को तैयार नहीं है.

अखिलेश को सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के विरोध में पिछले महीने पार्टी राज्य मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने वाले कई युवा नेताओं को शिवपाल ने पार्टी से निकाल दिया था.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इन सभी की सपा में वापसी चाहते हैं. निष्कासित नौजवान नेता अखिलेश के करीबी माने जाते हैं.

गत जून में माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी की अगुवाई वाले कौमी एकता दल (कौएद) के शिवपाल की पहल पर सपा में विलय को लेकर अखिलेश की नाराजगी के बाद पार्टी में तल्खी का दौर शुरू हो गया था.

कुछ दिन बाद इस विलय के रद्द होने से यह कड़वाहट और बढ़ गयी थी. शिवपाल ने कुछ दिन बाद प्रदेश में जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर इस्तीफे की पेशकश की थी.

बीती 15 अगस्त को सपा मुखिया ने मैदान में उतरते हुए शिवपाल की हिमायत की थी और कहा था कि अगर शिवपाल पार्टी से चले गये तो सपा टूट जाएगी.

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