पुरस्कारों की क्षुद्र सियासत – यह मैंने नहीं – मुनव्वर राना ने कहा था…
मध्य प्रदेश सरकार ने कई वर्ष पहले मशहूर शायर जनाब मंजर भोपाली को उनके उर्दू साहित्य में विशेष योगदान के फलस्वरूप अपने प्रदेश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया था. उसके कुछ महीने बाद ही एक बड़े मुशायरे में जनाब मुनव्वर राना ने एक शेर पढ़ा था :
सियासत मुँह भराई के हूनर से ख़ूब वाकिफ है
हर कुत्ते के आगे शाही टुकड़े डाल देती है.
इस मुशायरे के एक साल बाद ही उत्तर प्रदेश सरकार ने जनाब मुनव्वर राना को अपने प्रदेश के सम्मानित पुरस्कार से सम्मानित किया. संयोग देखिए कि इस पुरस्कार के तीन महीने बाद ही, फिर उसी शहर में कामयाब मुशायरा हुआ और उसमें राना और मंजर भोपाली दोनों थे.
श्रोताओं में भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे, जिन्होंने पिछले मुशायरे में मुनव्वर राना के शाही टुकड़े वाले शेर को सुना था. अब देखिए इलाहाबाद का इलाहाबादी तेवर मुशायरे की निजामत (संचालन) करने वाले ने जब असलम इलाहाबादी को बुलाया तो उन्होंने, शेर पढ़ने के पहले पिछले साल की घटना का और मुनव्वर साहब को मिले पुरस्कार पर मुबारकबाद देते हुए, अपना शेर पढ़ा :
मुनव्वर और कुत्ते में नहीं है फर्क अब कोई
हुकूमत ने इन्हें भी, शाही टुकड़े से नवाज़ा है
जनाब असलम इलाहाबादी के इस शेर पर पूरा हॉल देर तक तालियों से और मुकर्रर मुकर्रर गूँजता रहा.
(शाही टुकड़ा एक बहुत स्वादिष्ट स्वीटडिश)
– Ramadheen Singh