आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक दौर में जहाँ एक तरफ हर क्षेत्र में कुछ अलग (आम-जन की समझ से बाहर) कर लोग अपनी पहचान बनाने में लगे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर आज भी कुछ लोग सहजता एवं सरलता के पथ पर अग्रसर होते हुए मुकाम हासिल कर रहे हैं.
आदरणीया मंजुला उपाध्याय जी भी इसी दूसरी कड़ी की कवियित्री हैं. उनकी रचनाएं न केवल आम जन-जीवन को अभिव्यक्त करती है वरन हर व्यक्ति की समझ के भीतर होती हैं.
उनकी कविता-संकलन ‘हथेली भर धूप’ इन सभी लक्ष्यों को हासिल करने में पूर्णतः सफल सिद्ध हुई है…
किसी भी संग्रह की समीक्षा लिखते वक्त हर रचना को समेट पाना संभव नहीं हो पाता है, अतः पहली एवं आखिरी रचना को मैंने समीक्षा हेतु लिया है. कुल 78 कविताओं के इस संग्रह की पहली रचना ‘सान्निध्य तुम्हारा’ हर व्यक्ति के जीवन से जुड़ी उस घटना या व्यक्ति विशेष से जुडी याद को प्रदर्शित करता है, जिसे वो भूल जाना चाहता तो है फिर भी वो भुलाये नही भूलता. सपनों में अक्सर उसकी मुलाकात इन मीठी यादों से हो जाती है…
अंतिम रचना ‘हथेली भर धूप’ के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास है कि हर कोई उस जगह अपने आप को समेटना चाहता है, स्थापित करना चाहता है, जहाँ पर उसके अहसास एवं अरमानों को स्थायित्व प्राप्त होता है.
धूप के माध्यम से यह भी दर्शाने का प्रयास है कि वो चंद लम्हे ही आदमी को जीवन भर का सकून दे जाते हैं, जो अपनत्व एवं स्नेह की चाशनी से छने होते हैं.
इसी प्रकार सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक, मन के प्रत्येक कोने और शरीर के रोम -रोम को झंकृत कर देती है. सभी कविताएं अपने आप में अनमोल एवं संग्रहनीय है.
कवियित्री ने अपने अनुभवों, अपने अहसासों को जिस प्रकार से हम सब के समक्ष प्रस्तुत किया है वो अत्यंत ही प्रेरक एवं हम जैसे युवा रचनाकारों के लिए सीखने योग्य है…
कुल मिलाकर आदरणीया मंजुला उपाध्याय ‘मंजुल’ जी की यह काव्य संग्रह एक उत्कृष्ट रचना शैली का नमूना है. इस तरह की रचनाएं न केवल रचनाकार अपितु समाज की अभिव्यक्ति होती है. आशा ही नहीं वरन मुझे पूर्ण विश्वास है की आप ऐसी रचनाओं का सृजन कर हमें निरंतर गौरवान्वित करती रहेंगी…
अंततः इस कविता-संकलन के प्रकाशन हेतु आपको तहे दिल से बधाई एवं शुभकामना. साथ ही इसकी सफलता के लिए ईश्वर से कामना…
” जिस-जिस से मुझे स्नेह मिला,
उस-उस को मेरा सादर आभार,
जिस-जिस से मुझे विश्वास मिला,
उस-उस को मेरा सादर प्रणाम. “
पुस्तक: हथेली भर धूप
रचनाकार: मंजुला उपाध्याय ‘मंजुल’
पृष्ठ: 136
मूल्य: 150/- रूपये
प्रकाशक: उदभावना
एच-55, सेक्टर-23
राजनगर, गाजियाबाद
समीक्षक: अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)
+918955658078