क्या ब्लैकमेल हो रहे हैं वरुण गांधी!

Varun Gandhi
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नई दिल्ली. एक अमेरिकी हथियार सौदागर के प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे पत्र के बाद राजनीतिक गलियारों में यह सवाल गूँज रहा है कि क्या भाजपा सांसद वरुण गांधी ब्लैकमेलिंग का शिकार हैं.

दरअसल एक अमेरिकी वकील और हथियार सौदागर सी एडमंड्स एलन ने 16 सितंबर को पीएम, सीबीआई, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा था.

इस पत्र में दावा किया गया था कि नेवल डिफेंस लीक के लिए विदेशी वेश्याओं का प्रयोग किया गया था. वेश्याओं के जरिए डिफेंस सर्विस के कई वरिष्ठ अधिकारी और भाजपा के एक सांसद से कई अहम जानकारियां जुटाईं गईं.

एलेन ने प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे खत में कहा है कि यह भाजपा सांसद वरुण गांधी हैं जो ब्लैकमेलिंग का शिकार हुए हैं और उन्होंने विदेशी हथियार निर्माताओं को डिफेंस सिक्रेट लीक की हैं.

हालांकि वरुण गांधी ने इन आरोपों को नकारते हुए इन्हें हास्यास्पद और बेवकूफाना बताया है.

एलन के मुताबिक, उन्होंने पीएम को इसलिए लेटर लिखा क्योंकि वह ‘मैन ऑफ एक्शन’ हैं. एलन ने अपनी बात साबित करने के लिए दर्जनों फोटोग्राफ और सीडी भी पीएमओ को भेजी है.

सी एडमंड्स एलेन ने अपने खत में लिखा है कि वरुण गांधी ब्लैकमेलिंग का शिकार हुए हैं और उन्होंने विदेशी हथियार निर्माताओं को डिफेंस सिक्रेट लीक की हैं.

इसमें कहा गया है कि विदेशी एस्कॉर्ट महिलाओं तथा वेश्याओं के साथ खिंचीं वरुण की तस्वीरों के ज़रिये उन्हें ब्लैकमेल किया गया और हथियार निर्माताओं ने रक्षा मामलों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां वरुण से हासिल कीं.

एलेन का कहना है कि विवादास्पद हथियार विक्रेता अभिषेक वर्मा ने वरुण गांधी को इस्तेमाल किया, ताकि वह (वरुण) भारत सरकार से सौदे हासिल करने में जुटे हथियार निर्माताओं को रक्षा संबंधी विवरण दें.

दरअसल, वर्ष 2012 में एक दूसरे से अलग होने से पहले अभिषेक वर्मा और सी. एडमंड्स एलेन व्यापारिक साझीदार थे.

अब सी. एडमंड्स एलेन का कहना है कि संसदीय रक्षा समिति के सदस्य के रूप में अपने पास मौजूद जानकारी के बूते वरुण गांधी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया.

वरुण गांधी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, मैं इतनी हास्यास्पद और बेवकूफाना बात का क्या जवाब दूं?

गांधी ने सवाल किया कि क्या इन आरोपों का कोई भी सबूत मौजूद है? इनमें से किसी भी बात का क्या सबूत है? उन्होंने बताया कि वह पिछले 15 साल से भी ज़्यादा वक्त से अभिषेक वर्मा से नहीं मिले हैं.

उन्होंने कहा कि संसदीय रक्षा समिति की जिन बैठकों का ज़िक्र सी. एडमंड्स एलेन ने किया है उनमें उन्होंने शिरकत ही नहीं की थी.

गांधी ने कहा, उन्हें इस तरह ‘फुसलाया जाता हुआ’ दिखाने वाली तस्वीरें असली नहीं हैं, और ये आरोप उन पर इसलिए लगाए जा रहे हो सकते हैं, ताकि उन्हें आने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को कोई भूमिका निभाने से रोका जा सके.

उल्लेखनीय है कि वरुण अब संसदीय रक्षा समिति के सदस्य नहीं हैं. वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक़ खुफिया किस्म के दस्तावेज या जानकारी को आम तौर पर संसदीय कमिटी के सदस्यों से नहीं साझा किया जाता.

गौरतलब है कि सी. एडमंड्स एलेन और अभिषेक वर्मा के बीच व्यापारिक साझेदारी जनवरी, 2012 में खत्म हुई थी और उस वक्त दोनों ने ही एक दूसरे पर मनी-लॉन्ड्रिंग, गबन और धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे.

इसके बाद सी. एडमंड्स एलेन भारतीय जांचकर्ताओं को अभिषेक वर्मा के खिलाफ कागज़ात देते रहे हैं. अभिषेक वर्मा को जेल भी भेजा गया था और कई मामलों में जांच भी हुई.

इन मामलों में नेवी वॉर रूम लीक मामला भी शामिल है, जिसके तहत नौसेना से जुड़े संवेदनशील गोपनीय दस्तावेज ऐसे गुट द्वारा बेचे गए थे, जिसमें पूर्व तथा मौजूद सैन्याधिकारी शामिल थे.

इस बीच मशहूर वकील और स्वराज इंडिया पार्टी के सदस्य प्रशांत भूषण ने इस मामले में तुरंत दलाल अभिषेक वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.

भूषण ने कहा कि अभिषेक वर्मा 2005 पनडुब्बी घोटाले मामले में तीन मामलों पर जमानत पर है. एलन के कई ठोस सबूत देने के बाद भी सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि शुरू में कांग्रेस ने इस डील की जांच को रोकने के लिए कई प्रयास किए. लेकिन अभी तक मौजूदा सरकार ने भी इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया है.

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