जन्म स्मरण : विश्व भर के विद्यार्थी पढ़ते हैं चंद्रशेखर लिमिट

यह एक संयोग है कि महान खगोल-भौतिक-शास्त्री सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर जिन्हें 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार मिला वे नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी. वी. रमन के भतीजे थे.

इस वैज्ञानिक का जन्म लाहौर में 19 अक्तूबर 1910 को हुआ था लेकिन उनका बाल्यजीवन चेन्नई में बीता. उन्होने ग्यारह वर्ष की आयु में ‘मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज’ में दाखिला लिया.

मात्र 18 वर्ष की आयु में उनका पहला शोधपत्र ‘इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स’ में प्रकाशित हुआ. 1930 में उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड गए. 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में Professor R. H. Fowler के निर्देशन मे पी. एच डी. के विद्यार्थी बने.

1935 मे लंदन की ‘रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी’ की एक बैठक में उन्होंने अपना मौलिक शोधपत्र भी प्रस्तुत कर दिया कि सफेद बौने तारे (White Dwarf) एक निश्चित द्रव्यमान प्राप्त करने के बाद अपने भार में और वृद्धि नहीं कर सकते, अंततः वे ब्लैक होल(Black Hole) बन जाते हैं.

इसी को ‘चन्द्रशेखर सीमा’ (Chandrashekhar Limit) कहते हैं. 1937 में चंद्रशेखर शिकागो विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय में शामिल हुए, जहां वह 1995 में अपनी मृत्यु तक बने रहे.

उनका अनुसंधान कार्य अपूर्व है, उनके मार्गदर्शन मे 50 से ज़्यादा विद्यार्थियों ने Ph.D. किया. 1953 में वह अमरीकी नागरिक बन गये थे, तथापि भारत की बेहतरी की उन्हें गहरी चिन्ता थी. भारत में बहुत से विज्ञान संस्थानों और जवान वैज्ञानिकों के साथ उनका गहरा संबंध था.

1969 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया. 21 अगस्त 1995 को उनकी मृत्यु हुई. जन्मदिन पर डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को हृदय से नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि!

Comments

comments

LEAVE A REPLY