प्रिय सुनीता जी,
आज आपके फेसबुक पेज पर जाने का सौभाग्य मिला. शुरुआत की कुछ पोस्ट्स और उन पर आये कमेंट्स पढ़कर मुझे बहुत दुःख हुआ.
सबसे पहली बात वहां पर आप अपने पति के हिस्से की गालियाँ खा रही हैं, किसी व्यक्ति से जब पूरा देश नफरत करता है तो ऐसे में आपका इस तरह से उनका साथ देना काबिल-ए-तारीफ़ है…
करवाचौथ का व्रत न करते हुए भी आप उस व्रत की सारी कसमें निभा रही हैं….
दूसरी बात पोस्ट्स की भाषा और विषय का चुनाव बहुत कमज़ोर है. जब हम किसी नए क्षेत्र में कदम रखते हैं तो उसके लिए पूरी तैयारी करते हैं, ताकि कोई हमारे काम पर ऊंगली न उठा सके.
लेकिन आपकी हर बात में वही अनुभवहीनता दिखाई दी जो आपके पति में हैं, बिना किसी तैयारी के किसी भी क्षेत्र में कूद जाना और फिर इलज़ाम लगने पर हाथ जोड़ कर माफी मांग लेना…
इस तरह एक बार फिर आप करवा चौथ के ही उस नियम का पालन कर रही हैं जिसमें पति का आँख बंद अनुसरण करना कहा गया है…
तीसरी बात व्रत करना न करना व्यक्ति का व्यक्तिगत निर्णय होता है. अपने राजनीतिक मतलब और विशेष समुदाय से वोट बैंक के लिए हिन्दू त्यौहारों के #boycott की अपील करने से पहले क्या आपने बकर ईद पर अपने विचार जाहिर किये?
नहीं ना… एक बार फिर आप वही कर रही हैं जो आपके पति करते आए हैं… पतिव्रता पत्नी ऐसी ही तो होती हैं, उसके लिए करवा चौथ का व्रत भी नहीं करना पड़ता…
सुनीता जी, आपने करवा चौथ पर #SaveFruits हैश टैग चलाया है, आपने तो कभी करवा चौथ किया ही नहीं तो आप कैसे जानेंगी कि करवा चौथ पर हमारे यहाँ की औरतें पानी भी नहीं पीती तो फल कहाँ से खाएंगी….
और सिर्फ करवा चौथ पर ही क्यों, आम दिनों में भी औरतें फल खाती हुई कम ही नज़र आएंगी… एक मध्यम वर्ग की औरत के घर में जब सौ रुपये किलो के फल आते हैं, तो वो खुद नहीं खाती, अपने बच्चों के लिए बचाकर रखती हैं….
और मुझे विश्वास है सखी सुनीता, आप भी उसी मध्यम वर्ग से निकली हुई महिला हो, आपने भी बहुत त्याग किये होंगे…
और आपकी मजबूरी भी मैं समझ सकती हूँ कि आप अपने पति के बनाये हुए रास्ते पर चलने के लिए विवश है… क्योंकि राजनीति में कदम रखने से पहले आपने इसी करवा चौथ के कई व्रत किये होंगे…
करवा चौथ के व्रत से पति की उम्र लम्बी होती है या नहीं, ये तो नहीं पता लेकिन आपने ये बात तो साबित कर दी कि आप एक वास्तविक हिन्दू नारी है, जो पति के हर गलत काम पर आँख बंद करके उनका अनुसरण कर रही है…
प्रिय सखी सुनीता, हमें हिंदुस्तान की महिलाओं को इन व्रतों से निजात नहीं दिलाना है, हमें उस वैचारिक बंधन से मुक्त करना है जो विवाह के गठबंधन को कारावास समझती है, मंगलसूत्र को जंज़ीर समझती हैं…
सुनीता, हम उत्सव प्रेमी लोग हैं, विवाह और उसके बाद की प्रथाएं हमारे लिए जीवनसाथी के प्रति प्रेम का सन्देश होते हैं…
ये राधा का देश है, जहाँ कृष्ण की पत्नी रुक्मणी के होते हुए लोग राधा के प्रेम को याद करते हैं, ये मीरा का देश है, जिसकी भक्ति कृष्ण को पति के रूप में स्वीकार करती है, ये सीता का देश है, ये द्रोपदी का देश है…
और ये माँ दुर्गा का भी देश है जहाँ ज़रूरत पड़ने पर वो काली का रूप धर कर महिषासुर का वध करने से भी नहीं झिझकती… आगे आप खुद समझदार हैं.
– आपकी एक सखी ‘माँ जीवन शैफाली’ (जो खुद भी करवा चौथ का व्रत नहीं करती लेकिन हिन्दू व्रत और त्यौहारों का महत्व समझती हैं और उनका सम्मान करना जानती हैं.)
(Image From Facebook Page, which is said to be of Sunita Kejriwal)