अजित उवाच : भारत की बेरोजगारी नौकरी से नहीं Skill Development और Entrepreneurship से होगी दूर

Prime time में रविश कुमार भारत में बढ़ती बेरोजगारी पर panel discussion कर रहा है. कहता है कि भारत में नौकरियां नहीं है. हैं तो तनख्वाह बहुत कम है. उतनी नहीं है जितनी लोग चाहते हैं. पढ़ लिख के युवा हताश निराश है.

उधर मेरी पत्नी परेशान है. नौकरी है लोग नहीं मिल रहे. आज उनके स्कूल में कम से कम एक नौकरी ऐसी है जिसमे कि 30 या 40 हज़ार रु वेतन के साथ रहने खाने की सुविधा भी है.

इसके अलावा 5 ऐसी vacancies हैं teaching में जहां 25 से 30 हज़ार वेतन और साथ में free boarding lodging मने मुफ्त रहना खाना.

जितने बड़े अखबार और naukri.com जैसे portals हैं वहाँ विज्ञापन दे चुके हैं, कोलकता और सुदूर केरल तक चले गए अध्यापक खोजने, नहीं मिले. दो चार काम चलाऊ खोज के लाये थे, भग गए. कोई 15 दिन बाद भागा कोई दो महीने बाद.

Ravish kumar कहता है कि नौकरी तो है पर वेतन उतना नहीं है, जितना युवा को चाहिए. मेरी धर्मपत्नी का धर्म संकट ये है कि वो अपने स्कूल में teachers को 15 से 18 हज़ार  या 25000 तक दे तो रही हैं पर substandard लोगों को. सत्य ये है कि वो लोग उतना भी deserve नहीं करते.

आज के युवा की सबसे बड़ी समस्या ये है कि न वो सीखना चाहता है न grow करना चाहता है. management मजबूरन काम चलाऊ लोगों से काम चला रहा है.

पिछले दिनों मैं एक CBSE स्कूल में teachers की एक workshop ले रहा था. और देश में एक बड़ी महत्वपूर्ण घटना हुई थी. शायद 4 राज्यों के चुनाव का result आया था. मैंने teachers से पूछा, पिछले 3 दिन में देश में क्या हुआ? किसी एक भी teacher को कोई जानकारी न थी. ये हाल है हमारे देश में so called महंगे private स्कूल के teachers का. गाँव के सरकारी स्कूलों और कस्बों शहरों के सस्ते स्कूलों के teachers  का अंदाज़ा आप स्वयं लगा लीजिये.

इसके अलावा खबर ये भी है कि देश के 90% engineers नौकरी देने लायक ही नहीं हैं. मोदी जी ने देश भर में कौशल विकास योजना चलायी है. खबर है कि UP में कौशल विकास का काम कुछ NGOs को दे दिया गया है जो सिर्फ 2000 रु में certificate बाँट रही हैं.

अमित शाह से सवाल पूछा गया कि आपने दो साल में कितनी नौकरियां दीं? वादा तो आपने 5 करोड़ नौकरियों का किया था? अमित शाह ने जवाब दिया कि नौकरी नहीं रोज़गार का वादा था और अकेले मुद्रा बैंक योजना के तहत साढ़े तीन करोड़ युवा उद्यमियों ने बैंक से आसान लोन ले के स्वरोजगार शुरू किया है और एक सफल उद्यम अपने साथ 5 -10 अन्य युवाओं को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोज़गार मिलता है.

रोज़गार का मतलब नौकरी नहीं बल्कि उद्यमिता बोले तो entrepreneurship है. एक उद्यमी सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि समाज के 10 अन्य युवाओं के लिए भी रोज़गार का सृजन करता है.
125 करोड़ लोगों के देश में सबको नौकरी नहीं दी जा सकती. हाँ रोज़गार सब कर सकते हैं

आवश्यकता ये है कि युवा अपना skill development करें और स्वरोजगार , उद्यमिता की ओर कदम बढ़ाएं.
भारत की बेरोजगारी नौकरी से नहीं skill development और entrepreneurship से दूर होगी.

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