नई दिल्ली. एक अप्रैल, 2017 से लागू होने जा रहे गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की सबसे निचली दरें आवश्यक वस्तुओं के लिए और सबसे ऊंची दर विलासिता के सामानों के लिए होगी.
जीएसटी रेट की चार स्लैब 6,12,18 और 26 फीसदी हो सकती है. मंगलवार को जीएसटी काउंसिल ने इन चार रेट वाले वैकल्पिक जीएसटी ढांचे पर विचार किया है. इन पर अंतिम फैसला होना बाकी है.
सबसे ऊंची दर विलासिता की वस्तुओं और सिगरेट-तंबाकू जैसे उत्पादों के लिए होगी. खाद्य वस्तुओं को कर की छूट का प्रस्ताव है, जबकि सामान्य इस्तेमाल के 50 प्रतिशत उत्पादों पर भी कर नहीं लगाने का प्रस्ताव है जिससे महंगाई को काबू में रखा जा सके.
मंगलवार को हुई चर्चा में जीएसटी लागू होने पर राजस्व के संभावित नुकसान पर राज्यों को मुआवजे के भुगतान की व्यवस्था पर सहमति बनी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली इस महत्वपूर्ण समिति में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल रहे.
बैठक में 1 अप्रैल, 2017 से नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के लागू होने की स्थिति में राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के तरीके पर सहमति बनी.
जेटली ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुआवजे के लिए राज्यों को राजस्व की तुलना का आधार वर्ष 2015-16 होगा.
पहले पांच साल में राज्यों में राजस्व में 14 प्रतिशत वार्षिक की दीर्घावधिक वृद्धि दर को सामान्य माना जाएगा और उसकी तुलना में यदि राजस्व कम रहा तो केंद्र द्वारा संबंधित राज्य को उसकी भरपाई की जाएगी.
जीएसटी परिषद की तीन दिन की बैठक के पहले दिन जीएसटी दर ढांचे के पांच विकल्पों पर विचार किया गया.
जेटली ने कहा कि अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है और विचार विमर्श बुधवार को भी जारी रहेगा.