अक्सर जब मैं कोई राजनैतिक विश्लेषण लिखता हूँ तो कई मित्र कमेंट करते हैं-
अरे दद्दा रहन दो , कोई फायदा नहीं । मुसलमान या दलित या अहीर या ऐसा ही कोई अन्य वोटबैंक ….. ये वोट ना देने के भाजपा को……
या ये कि फुंका हुआ कारतूस है रीता बहुगुणा जोशी…. ये किस काम की ? इसको क्यों ले रहे हैं अमित शाह भाजपा में ?
[भावना आहत मत करो शुद्धतावादियों, संदेश समझो]
तो ऐसे मित्रों को मैं समझाता हूँ….
भाई मेरे….. किसी पुरानी स्थापित पार्टी को, जिसका अपना एक ठोस आधार है , संगठन है…. एक core votebank है….. ऐसी पार्टी को चुनाव जीतने के लिए अपने पक्ष में कोई बहुत ज़्यादा नहीं, सिर्फ 4-6 % वोट स्विंग (रुझान) की ज़रूरत होती है.
इसलिए यदि आप अपनी विरोधी पार्टी के core vote (निष्ठावान या समर्पित वोट) में 1 या 2 % की सेंध भी लगा पाएं तो बाजी आपके हाथ आ सकती है.
फिर दूसरा कारण होता है ढुलमुल वोट (Floating vote) का. इसकी संख्या किसी भी समाज में अच्छी खासी होती है.
ये किसी भी पार्टी का बंधुआ मने core vote नहीं होता. ये हवा के साथ बहता है और असल में इसी core vote की नींव के ऊपर जीत की इमारत खड़ी होती है.
ये उसके साथ जाता है, जिसकी हवा बह रही हो…. ये धारणा (perception) के साथ जाता है. Floating vote आमतौर पर आखिरी समय पे निर्णय लेता है.
जब किसी पार्टी के बड़े नेता, पार्टी छोड़ के भागने लगते हैं तो इस से जनता में यानि कि floating vote को ये सन्देश जाता है कि डूबते जहाज से चूहे भाग रहे हैं.
जिस पार्टी का perception लोगों में ये बन गया कि ये तो भाई डूबता जहाज है, तो फिर उस से उसका core vote और floating vote दोनों भागने लगते है. यही जानलेवा होता है.
रीटा बहुगुणा जोशी का पलायन, कांग्रेस के ब्राह्मण वोट (बचे खुचे) को ये सन्देश देगा कि कांग्रेस पर अपना वोटट बर्बाद मत करो…..
और यही 2 – 4 % वोट ही तो स्विंग पैदा करेगा….