स्मिता : सांवली लड़की सांझ के पहले सो गई

अपनी सौम्य मुस्कान और आँखों के गहरे धुंधलके के मध्य दमकता एक चेहरा, जब कला फिल्मों से कमर्शियल फिल्मों के बड़े से परदे पर नज़र आया तो हर किसी ने उसे पड़ोस की सांवली सी लड़की स्मिता के रूप में देखा, सराहा.

स्मिता पाटिल, जिसके जीवन में फिल्म अर्थ जैसी कहानी घटित हुई लेकिन उसका अंत विवाह की परिणिती हुआ. शादीशुदा राज बब्बर के जीवन में पदार्पण तो हुआ लेकिन बच्चे को जन्म देते हुए वो मौत से हार गयी.

17 अक्टूबर 1955 को जन्मी स्मिता का मात्र 31 की उम्र में निधन हो गया था. लेकिन अपने इस छोटे से जीवन काल में उन्होंने फ़िल्मी करियर के साथ महिलाओं के हित में कई समाजसेवी कार्य भी किये.

वे मुंबई के महिला केंद्र की सदस्य भी थीं. वे फिल्मों के चयन के समय भी उन फिल्मों में काम करने को प्राथमिकता देती थीं जिनकी कहानी परंपरागत भारतीय समाज में महिलाओं से जुडी समस्याओं के समाधान और उनमें बदलाव का सन्देश देती हुई हो.

 

यूं तो स्मिता पाटिल की पूरी फिल्मोग्राफी बयान करने लायक है लेकिन जिस फिल्म से स्मिता मेरे हृदय में बस गयी वो उनके मृत्यु के बाद रिलीज़ हुई फिल्म थी वारिस. अपनी छवि के बिलकुल विपरीत उसके अभिनय से मैं बिलकुल अचंभित थी.

खानदान को वारिस दिलवाने के लिए अपनी छोटी बहन का विवाह ससुर से करवाने और एक नारी के वजूद की लड़ाई के आगे अमृता सिंह और राज बब्बर का प्रेम कितना छोटा लगता है फिल्म में इसका कारण निर्देशक के निर्देशन के अलावा सिर्फ और सिर्फ स्मिता का सशक्त अभिनय ही था.

और ससुर और छोटी बहन के विवाह से जन्मे पुत्र के लिए आशा भोंसले की आवाज़ में स्मिता पर फिल्माया गीत “आ रे मुंझे तारे मुंझे” मेरी नसों में आज भी फड़क जाता है तो नारी होने पर गर्व हो आता है. बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जो केवल अपना ही नहीं अपनी पूरी जाति का सर ऊंचा कर जाते हैं.

प्रेम को परमात्मा के समकक्ष रखने वाली मेरे जैसी स्त्री भी माँ और संतान के रिश्ते के आगे पुरुष के प्रेम को बहुत पीछे रखती है. नारी का नाभि से रिश्ता, हृदय के रिश्ते से हमेशा ऊपर रहता है.

अपने सांवले रंग के बावजूद उसका चेहरा यूं दमकता था जैसे बादलों के बीच चाँद, लेकिन वो सांवली लड़की जीवन की सांझ आने से पहले ही सो गयी.

Ma Jivan Shaifaly

प्रेम प्रतीक्षा परमात्मा : तेरा मेरा क्या क्या नाता, सजनी, भाभी, मौसी, माता

ये भी पढ़ें

जन्मोत्सव : रेखा जहां पर ख़त्म होती है, वहां से शुरू होते हैं अमिताभ

 

Rekha The Untold Story : रेखा, बदलते दैहिक अनुभव के बीच एक तटस्थ आत्मा

 

Comments

comments

LEAVE A REPLY