MS Dhoni The Untold Story एक सितारे की यात्रा है. वो सितारा बनने से पहले रांची का एक अंगारा हुआ करता था. छोटे शहर का वो बच्चा, जिसकी आंखों में आसमान छूने के सपने थे.
इस फिल्म को देखते हुए ख्याल आया कि कोई खेल फिल्म क्या इतनी खूबसूरती से बनाई जा सकती है. हालांकि जब फिल्म प्रदर्शित हुई थी तो कई समीक्षकों ने इसे कमतर ही आंका था.
किसी को बायोपिक में परेशानी थी तो कोई कह रहा था 35 साल के धोनी पर बायोपिक बनाना जल्दबाजी हो जाएगी. लेकिन दर्शकों ने इन सारे समीक्षकों की राय को धता बताते हुए फिल्म को भरपूर प्यार दिया.
ऐसा क्या है MS Dhoni The Untold Story में जो एक आम दर्शक को छूता है. दरअसल धोनी की ये संघर्षगाथा हर उस भारतीय की गाथा है जो कमतर सुविधाओं के साथ जीवन के रणक्षेत्र में उतरा है. उसे व्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार से भी निपटना है.
इन सब जंजालों के बीच एक आम भारतीय युवा को अपना कॅरियर बनाना होता है. निर्देशक नीरज पांडे ने हमें साल के अंत में साल की सबसे खूबसूरत फिल्म का तोहफा दिया है.
ये एक ऐसी खेल फिल्म है जो खेल की बारीकियों के साथ खिलाड़ी का संघर्ष भी हमारे सामने रखती है. सुशांत राजपूत पर यह फिल्म आधी टिकी हुई थी और आधी निर्देशक पर.
सुशांत इस फिल्म से वाकई सितारा बन चुके हैं क्योंकि उन्होंने पूरी फिल्म को अपने कंधों पर उठाया है. नीरज पांडे का कहानी कहने का ढंग रोचक है. उन्होंने कहीं भी फिल्म को उबाऊ नहीं होने दिया है.
फिल्म की शुरुआत भारतीय क्रिकेट टीम के ड्रेसिंग रूम से होती है, जहां एमएस धोनी टीवी स्क्रीन पर मैच देख रहे हैं. भारत श्रीलंका के बीच विश्वकप का खिताबी मुकाबला चल रहा है. यहां से फिल्म फ्लैशबेक में जाती है.
मात्र तीन घंटे में धोनी की जिंदगी का एक हिस्सा समेटना निर्देशक के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहा होगा. फिल्म हर डिपार्टमेंट में खरी उतरी है. जो समीक्षक इसे कमतर बता रहे थे, उन्हें दर्शकों ने तगड़ा जवाब दिया है.
200 करोड़ की कमाई कर एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी अब भी दर्शकों की चहेती फिल्म बनी हुई है. महाराष्ट्र में इसे टैक्स फ्री कर दिया गया है.
जब आप यह फिल्म देखकर बाहर निकलते हैं तो मन निर्मल आनंद से भरा होता है और आंखों में आंसू होते हैं. यही निर्मल आनंद इस फिल्म की धमाकेदार सफलता का राज है. इस निर्मल आनंद की व्याख्या नहीं की जा सकती, इसे अनुभव किया जा सकता है.