बंगाल : श्रेष्ठता का दंभ छोड़, पहल तो आपको ही करना होगी

बंगाली हिन्दू समाज को अपनी क्षेत्रीयता को सर्वोपरि मानने की कीमत तो चुकानी ही होगी.

शेष भारत की विराट हिन्दू आकांक्षाओं से खुद को जोड़े बिना, उन्हें बंगाल में मुस्लिम आक्रामकता से मुक्ति की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

उन्हें यह समझना होगा कि इस्लाम से प्रेरित रहने वाली मुस्लिम हिंसा एक वैश्विक हिंसक आंदोलन है.

इससे निपटने के लिए पूरी दुनिया को आपसी सहयोग और एकता की जरुरत पड़ रही है.

बंगाली हिन्दू समाज के चिंतन में इस समझ का अभाव दिखता है.

वैश्विक सहयोग की बात तो छोड़ ही दीजिये, बंगाली हिन्दू समाज को शेष भारत से ही सहयोग और सद्भाव की आकांक्षा भी नहीं है.

बंगाली हिन्दू समाज आज भी श्रेष्ठता भाव से ग्रस्त है और अभी तक उनकी कुल समझ यह है कि भले ही मुस्लिम आक्रामकता झेलते रहो किन्तु शेष भारत के अहमक हिंदुओं से कोई जुड़ाव न रखो.

ऐसे में उनकी नियति वही है जो आज दिख रही है.

बंगाली हिन्दू समाज से फ़िलहाल मेरी सहानुभूति है.

यह स्थिति बदलेगी किन्तु बदलाव की कोई भी पहल बंगाली हिन्दू समाज को ही करनी पड़ेगी, तब तक के लिए अपने आक्रोश को सँभालने की आवश्यकता है.

वरुण कुमार जायसवाल

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