क्या आप अलसी के बारे में नहीं जानते तो जान लीजिये, क्योंकि ये गुणों की खान है. अलसी (Alsi or Flax Seeds) तिल के बीज से थोड़े बड़े आकार में होती है. खाने में इसका प्रयोग बेक की जाने वाली रेसिपी पर छिड़क कर या इसे पीस कर लड्डूओं, या कुकीज़, केक आदि में प्रयोग किया जाता है.
यदि आप बिना अंडे के केक आदि बनाना चाहते हैं तो अंडे के विकल्प के रूप में भी अलसी के पिसे हुए चूरे को या अलसी के बीज को भिगो पर पीसकर प्रयोग कर सकते हैं.
इसमें प्रोटीन, फाइबर, लिग्नन, ओमेगा-३ फेटी एसिड, विटामिन बी ग्रुप, मैग्नीशियम, केल्शियम, जिंक, सेलेनियम, आदि तत्व होते हैं. अश्वगंधा व हरी सब्जियों में पाया जाने वाला विटामिन नियासीन भी अलसी में प्रचुरता से होता है,
अलसी रक्तचाप को संतुलित रखती है, कॉलेस्ट्रॉल (LDL-Cholesterol) की मात्रा को कम करती है, दिल की धमनियों में खून के थक्के बनने से रोकती है, हृदयाघात व स्ट्रोक जैसी बीमारियों से बचाव करती है, हृदय की गति को नियंत्रित रखती है और वेन्ट्रीकुलर एरिदमिया से होने वाली मृत्युदर को बहुत कम करती है. यह कब्ज और बबासीर के लिये बहुत कारगर है.
अलसी बालों का तो पोषण करती ही है, साथ ही अलसी के बीज के चमत्कारों का हाल ही में खुलासा हुआ है कि इनमें 27 प्रकार के कैंसररोधी तत्व खोजे जा चुके हैं. अलसी में पाए जाने वाले ये तत्व कैंसररोधी हार्मोन्स को प्रभावी बनाते हैं, विशेषकर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर व महिलाओं में स्तन कैंसर की रोकथाम में अलसी का सेवन कारगर है.
दूसरा महत्वपूर्ण खुलासा यह है कि अलसी के बीज सेवन से महिलाओं में सेक्स करने की इच्छा तीव्रतर होती है.
कैसे खाएं अलसी के बीज
अलसी को धीमी आंच पर हल्का भून लें. फिर मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख लें. रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच पावडर पानी के साथ लें. इसे सब्जी या दाल में मिलाकर भी लिया जा सकता है.
इसे अधिक मात्रा में पीस कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह खराब होने लगती है. इसलिए थोड़ा-थोड़ा ही पीस कर रखें. अलसी सेवन के दौरान पानी खूब पीना चाहिए. इसमें फायबर अधिक होता है, जो पानी ज्यादा मांगता है.
एक चम्मच अलसी पावडर को 360 मिलीलीटर पानी में तब तक धीमी आंच पर पकाएं जब तक कि यह पानी आधा न रह जाए. थोड़ा ठंडा होने पर शहद या शकर मिलाकर सेवन करें. यह गनोरिया, नेफ्राइटिस, अस्थमा, सिस्टाइटिस, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, कब्ज, बवासीर, एक्जिमा के उपचार में उपयोगी है.
अलसी के बीज के चूरे को रोटी, दूध, दाल या सब्जी की ग्रेवी में मिलाकर खाया जा सकता है. प्रति व्यक्ति पांच ग्राम से दस ग्राम तक अलसी का खाना स्वास्थ्य के लिये गुणकारी रहता है.
अलसी को नमक लगे पानी में भिगो कर फिर सूखाकर सेक लें, फिर इसे खाना खाने के बाद मुखवास के तौर पर भी खाया जा सकता है.
विशेष : अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है. यह एसिड थायरायड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने में आवश्यक भूमिका निभाता है. हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को अलसी और अलसी के तेल का प्रयोग जरूर करना चाहिए.