ये फ़ौजी आपकी जान की रक्षा करता है, और आप?

मैंने सुना है कि पश्चिमी देशों में जब किसी महिला को प्रसव होता है तो उसके पति को वहीं लेबर रूम में पत्नी के साथ, उसके सामने खड़ा रखते हैं.

उससे उसे ये अहसास होता है कि उसकी पत्नी ने कितने कष्ट उठा के उसके बच्चे को जन्म दिया है.

इससे शायद उस व्यक्ति को ये एहसास भी होता होगा कि कितनी भयंकर पीड़ा, कितने कष्ट उठा कर उसकी माँ ने उसे पैदा किया होगा.

हम हिंदुस्तानियों को तो हमेशा यही पढ़ाया गया कि दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल ……. साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ……. बिना बलिदान दिए, बिना खून बहाये जो आज़ादी मिल गयी ……. मुफ्त में …… कोई उसकी value आखिर करेगा भी क्यों ?

मुफ्त में मिली चीज़ की कोई कीमत नहीं होती.

एक आम नागरिक को क्या पता कि हमारे ये फौजी देश की सरहदों को महफूज़ रखने के लिए कितने कष्ट सहते हैं, कितनी तकलीफें उठाते हैं ……. कितनी कुर्बानियां देते हैं ……

जवान लड़का, 17 साल की उम्र में फ़ौज में भर्ती हो गया ….. 20 – 22 साल की उम्र में शादी हुई …… शादी के लिए बमुश्किल 10 दिन की छुट्टी मिली …….. और शादी के एक हफ्ते बाद नव विवाहिता पत्नी को पीछे छोड़ फौजी जब ड्यूटी पे वापस जाता होगा तो क्या बीतती होगी …….. कल्पना कीजिये.

रात के सन्नाटे में, शून्य से 15 डिग्री नीचे तापमान में, घुटनों तक बर्फ में खड़ा लड़का क्या सोचता होगा …… कल्पना कीजिये.

हर हिंदुस्तानी को कम से कम 6 महीना तो सरहद पर बिताने ही चाहिए. तब शायद पता लगे इस फौजी की कीमत.

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