एक दिन यमराज और चित्रगुप्त आपस में बात कर रहे थे. अचानक से यमराज ने चित्रगुप्त से पूछा –
“चित्रगुप्त, एक बात बताओ; व्हाट्सअप और फेसबुक पर होने वाले ज्ञान के आदान प्रदान को देखकर तो लगता है कि मनुष्यलोक में सभी लोग एकदम मज़े में होंगे और स्वर्ग का आनन्द ले रहे होंगे पर उनके चेहरों को देखकर एेसा मालूम तो नहीं पडता. क्या प्रोब्लम हो सकता है”.
चित्रगुप्त हल्के से मुस्कुराये और बोले – “महाराज, कल मैंने आपको आपके पेट दर्द के लिए आयुर्वेद का एक बेहतरीन इलाज व्हाट्सअप पर भेजा था, वो आपको कैसा लगा..?”
यमराज ने बड़े ही उत्साह के साथ तुरंत उत्तर दिया और बोले – “जरूर ही बहुत अच्छा होगा चित्रगुप्त क्योंकि मैंने तुरंत उसे मेरे सारे ग्रुप्स पर फॉरवर्ड कर दिया था. और तुरंत बहुत सारे लाइक्स भी आ गए थे. और तो और, अब वही मैसेज मुझे वापस भी आने लगे हैं.”
यमराज का उत्तर सुनकर चित्रगुप्त बोले – “वो तो ठीक है महाराज, पर क्या आपने वो नुस्ख़ा आज़माया..?”
यमराज बड़े ही उदास होकर बोले – “नहीं चित्रगुप्त, मैं उस नुस्ख़े को नहीं आज़मा पाया क्योंकि मैं पूरा समय उस नुस्ख़े को सभी लोगों को फ़ॉर्वर्ड करने में व्यस्त रहा.”
इस पर चित्रगुप्त ने उत्तर दिया – *”तो महाराज, बस यही प्रोब्लम है. ज्ञान तो बहुत है पर जीवन में उतारने का समय किसी के पास नहीं. बस सब फ़ॉर्वर्ड करने में लगे रहते हैं.”
– Whatsapp से