‘क्यों खौफज़दा है केजरीवाल सरकार’, शुंगलू समिति पर जंग

Najeeb-Jung-Arvind-Kejriwal

नई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने जिस प्रकार उपराज्यपाल द्वारा गठित शुंगलू कमेटी को भंग करने की सलाह दी है, उस पर उपराज्यपाल नजीब जंग ने सवाल खड़े किए हैं.

गौरतलब है कि केजरीवाल सरकार के फैसलों से जुड़ी 400 फाइलों की जांच कर रही शुंगलू समिति भंग करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा नजीब जंग से किए गए अनुरोध के कुछ घंटों बाद, उपराज्यपाल ने उसे ठुकरा दिया और समिति को छह हफ्ते का विस्तार दे दिया था.

उपराज्यपाल नजीब जंग की ओर से जारी बयान मे कहा गया कि सरकार द्वारा लिए गए फैसलों की चार सौ फाइलों की सच्चाई सार्वजनिक होगी तब लोगों को इसे छिपाने के सही कारण का पता चल पाएगा.

इससे पहले केजरीवाल सरकार के तीन सदस्यीय समिति भंग करने के अनुरोध को खारिज करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि इन फाइलों के पीछे छिपी सच्चाई’ सामने आनी चाहिए.

एक अधिकारी ने कहा, ‘उपराज्यपाल ने तीन सदस्यीय समिति का कार्यकाल दो दिसंबर तक बढ़ा दिया. इससे पहले उपराज्यपाल ने समिति से छह हफ्तों में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा’.

जंग ने 30 अगस्त को शुंगलू के नेतृत्व में एक समिति गठित की थी जिसमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रदीप कुमार भी शामिल थे.

तीन पेज के प्रेस बयान में जंग ने हैरानी जताई कि आप सरकार सच सामने आने से क्यों डरी हुई है अगर, सबकुछ नियमों के अनुसार है, जैसा कि आप के मंत्रियों ने दावा किया है.

बयान में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने अगर निष्पक्ष होकर काम किया है तो कमेटी की जांच से क्यों घबरा रही है. एक चुनी हुई सरकार कमेटी द्वारा सच्चाई को सामने लाए जाने से क्यों घबरा गई है.

उपराज्यपाल नजीब जंग ने शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक पर हैरानी जताते हुए कहा कि अभी तक जिन मामलों में गड़बड़ी पाई गई उसकी सीबीआइ जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

जंग ने कहा, सरकार द्वारा लिए गए फैसलों की फाइलें देखने के लिए मंगवाई गई हैं. उसे जब्त नहीं किया गया है. दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों के मंत्रियों ने स्वीकारा है कि कई फैसले नियमानुसार नहीं लिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि कैबिनेट की बैठक तथा उसके फैसले सिर्फ दिल्लीवालों को भ्रमित कर उन्हें बहलाने के लिए हैं. सरकारी कामकाज में कमेटी का गठन सामान्य बात है. पूर्व कैग प्रमुख वीके शुंगलू की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी में देश के सक्षम लोग हैं.

कमेटी अगले छह सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौपेगी. दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को सिर्फ सफाई देने के लिए बुलाया जाता है. उन्हें कामकाज बंद करने के लिए नहीं कहा गया है जैसा कि सरकार प्रचारित कर रही है.

दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को जिस प्रकार प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि गत चार अगस्त को आए हाईकोर्ट के फैसले की उपराज्यपाल ने गलत व्याख्या की है, यह सरासर झूठ है. शुंगलू कमेटी का गठन तथा उसके कामकाज से इसका कोई लेनादेना नही है.

संविधान में उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार के अधिकारों की साफ-साफ व्याख्या की गई है. उपराज्यपाल ने आखिर में फिर दोहराया है कि ‘जैसा सरकार दावा कर रही है कि सब कुछ नियमानुसार हुआ है तो फिर सच्चाई सामने आने से क्यों खौफजदा है.’

शुक्रवार को दिल्ली कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित करके जंग को पूर्व कैग वीके शुंगलू की अगुआई वाली समिति भंग करने की सलाह देते हुए दलील दी थी कि 400 फाइलें जब्त करने से सरकार के काम में अड़चनें पैदा हो रही हैं.

उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा कि कैबिनेट प्रस्ताव निश्चित रूप से जनता को गुमराह करने और कुछ फाइलों में गंभीर अपराध के सबूत से ध्यान हटाने का प्रयास है.

सिसोदिया ने पत्रकार सम्मेलन में कहा कि समिति ने नौकरशाही में डर और अनिश्चितता का खतरनाक माहौल बना दिया है और इस तरह सरकार का कामकाज पूरी तरह पटरी से उतरने का खतरा है. इसलिए हम चाहते हैं कि यह समिति भंग कर दी जाए.

उन्होंने कहा, ‘हमने एलजी से समिति को भंग करने का अनुरोध किया है क्योंकि एलजी को कोई अधिकार नहीं है. एलजी का अधिकार क्षेत्र भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 एए, जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 और कानून के तहत बनाए गए नियमों के अंतर्गत भलीभांति परिभाषित है’.

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