Justice For Asia Bibi : पाकिस्तान में ईश निंदा पर सज़ा-ए-मौत, बर्बरता की पराकाष्ठा

पाकिस्तान में इन दिनों पूरी तरह से “जंगली-राज” का बोल बाला है. लगता है सरकार, कानून, अदालतें सिर्फ दिखावे भर की हैं. वहां चारों तरफ कट्टरता, बर्बरता, वहशीपना, लूट, खसोट, गुण्डागर्दी, अपराध, हत्याएं, अपहरण और आतंकी हरकतें पूरे शबाब पर झूम रही हैं. दिनदहाड़े छेड़छाड़, मारपीट, छुराबाजी, रास्ते चलते लोगों को गोली मार देना, यह सब तो रोजमर्रा की वारदातें हो गई हैं.

पाकिस्तान में अल्लाह के नाम की आड़ लेकर जो जुल्मो सितम औरतों, लड़कियों पर बेरहमी से ढहाए जाते हैं, उन्हें जन्नत में बैठ कर अगर खुदा भी देख रहा होगा तो वह भी बहुत शर्मिन्दा हो रहा होगा.

ऑनर किलिंग के नाम पर बीबियों को उनके शोहरों द्वारा जान से मारना, अगर किसी अबला ने बुर्का उठाकर पड़ोसी की तरफ देख भर  लिया हो, तो उसके शौहर द्वारा लाल सुर्ख गरम चीमटे से औरत की दोनों आँखों को फोड़ डालना, यह तो पाकिस्तान की सड़कों पर सामान्य घटनाएं हो गई हैं.

इनकी तरफ न तो आम आदमी ध्यान देता है, ना ही प्रेस, मीडिया या पुलिस तवज्जो देती है. जल्दबाजी में चूल्हे की आंच अगर तेज हो गई  और रोटी यदि थोडी सी जल गई हो तो, फिर देखिये पाकिस्तानी शौहर का पुरूषार्थ. वह अपनी बीबी को लात- घूसे, जूते-चप्पलों से इतना पीटेगा कि जब तक उसकी बीबी  लहू लहान न हो जाए उसका हाथ नहीं रूकेगा.

पर भला किसी की हिम्मत है जो शौहर के पैर की जूती समझी जाने वाली इस औरत को बचाने आ जाए. इतनी बार में तो फटाक से  मियांजी ने तीन बार ‘तलाक तलाक तलाक ‘ बोलेंगे  और अपनी जोरू-औरत को लात मार कर घर से बाहर निकाल दिया जायेगा. औरतें भी रोती गाती अपनी फूटी किस्मत को कोसती चुपचाप शौहर की मार सहती रहती हैं.

इस्लामिक देश के शरीयत के कानून के तहत पाकिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों की कितनी भीषण दुर्दशा है, इसका अन्दाज बाहरी दुनिया के लोग पाकिस्तानी टीवी चैनलों की हूरों को देखकर नहीं लगा सकते हैं.

पश्चिम के देशों की आंखे उस समय खुली जब उन्होने फ्रांसिसी लेखक  ‘अन्ना इसाबेली’ की पुस्तक  “सेंटेन्स आफ डेथ ऑन ए कप आफ वाटर ” नामक पुस्तक पढ़ी. इस किताब में  ‘आशिया नूरान’ नामक 45 वर्षीय एक अभागिन  ईसाई महिला की कहानी है, जो इस समय  ईसाई होने की सजा के बतौर लाहौर की जेल में सड़ रही है, और फांसी के फन्दे पर झूलने के अपने आखरी दिन गिन रही है.

लाहौर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शेखूपुरा जिले के इट्टानवाली गाँव की रहने वाली यह अभागिन ईसाई महिला पेशे से सफाईकर्मी है. गाँव के गली कूचे में झाडू लगाकर अपने परिवार का पेट पालती है.

उसका पति ‘आशिक मसीह’ है. जिसकी पहली बीबी के तीन और आशिया नूरीन से दो बच्चे पैदा हुए हैं. पाकिस्तान के गाँवों में जगह जगह  पानी से भरे मटके और कनारी रखी रहती है. भारत में भी मुस्लिम बाहुल्य मोहल्लों मे गली चौराहों पर ऐसे मटके देखे जा सकते हैं.

पानी के इन मटकों पर पीतल का या अल्युमीनियम धातु का बना एक लोटा भी रखा रहता है. कोई  भी राहगीर अपनी प्यास बुझाने के लिए सार्वजनिक प्याऊ  के इन मटकों के पास आता है. अपने हाथ से लोटा उठाता है, मटके में डुबोता है, फिर हाथ की चुल्लू बनाकर या सीधे लोटे या मग को अपने होठों से लगाकर गटगट करके पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेता है.

पाकिस्तान में सार्वजनिक स्थानों पर रखे इन मटकों की भीतर सफाई होती है या नहीं यह जानने की किसी को फुरसत नहीं होती. एक दूसरे के झूठे मुंह से लगा लोटा या धातु का मग कभी मांजा भी नहीं जाता होगा, क्योंकि उसे मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक मानकर पवित्र समझकर, गरीब, अमीर, नवाब, फकीर सभी आराम से गटक कर पानी पीते हैं.

इस पानी को पीने के लिए जाति पाति छुआछूत किसी भी तरह की कोई बन्दिश नहीं होती है. भारत में तो हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई कोई भी आराम से इस जल का सेवन बेरोकटोक करते हैं.

बात सात साल पुरानी 2001 की है. अभागिन ईसाई महिला आशिया नूरीन खेत में काम करके प्यासी हो गई थी. उसने मग उठाकर मटके में डुबोकर एक घूंट पानी क्या गटक लिया  …उसने साक्षात अपनी मौत को न्यौता दे दिया.

पास खडी उसकी दो पड़ोसनें आकर उससे झगड़ने लगी. गालियाँ देकर आशिया नूरीन को फटकारा  ‘नीच जाहिल तेरी हिम्मत कैसे हुई तूने मटके  से पानी कैसे पी लिया.’

देखते देखते इन औरतों ने हंगामा खड़ा कर दिया. आस पास के लोग आ गए, ईसाईयों को अछूत, जाहिल, अपवित्र  कहते हुए ईसा मसीह को गालियाँ बकने लगे. पहले तो आशिया नूरीन चुपचाप सुनती रही, फिर धीरे से उसने सिर्फ इतना कहा कि “हमारे जीसस को गाली मत दो.

जीसस ने तो क्रास पर चढ़कर मानवता की रक्षा के लिए और इन्सानों के पापों को माफ करने के लिए अपना बलिदान दिया है. तुम्हारे खुदा ने मानवता के लिए क्या किया है.”

खुदा का नाम एक ईसाई के मुंह से निकलते ही मानो पहाड़ टूट गया. लोगों  ने आशिया पर हमला कर दिया. किसी ने पुलिस को इत्तला कर दी. पुलिस आई और अधमरी आयिशा को पकड कर थाने ले गई. आशिया नूरीन को गिरफ्तार करके  ‘ खुदा के साथ बद-सुलूकी यानि “ईश निन्दा” का अपराध दर्ज करके पाकिस्तान पेनल कोड की धारा 295 C के तरह  मुकदमा दर्ज कर दिया.  इस अपराध के तहत पाकिस्तानी कानून में सज़ा-ए-मौत देने का प्रावधान है.

नवम्बर 2010 में शेखूपुरा जिला अदालत ने तत्काल एक लाख रूपये का जुर्माना और फांसी पर तब तक लटकाए रखने की सज़ा सुना दी जब तक कि मुल्जिम मर न जाए.

लाहौर हाईकोर्ट  में सज़ा-ए-मौत के विरूद्ध अपील की गई. आशिया नूरीन के बचाव में  पंजाब ऐसम्बली में अल्पसंख्यक  मंत्री शाहबाज भट्टी आए. उन्हें जान से मार दिया गया. आशिया को बचाने वकील सलमान तशीर अदालत में पेश हुए. उन्हें 26 वर्षीय मलिक मुमताज हुसैन कादरी हत्यारे ने 4 जनवरी 2011 को मौत के घाट उतार दिया.

वकील साहेब के जवान बेटे को आतंकवादी उठाकर ले गए पांच साल बाद अभी मार्च में छोडा. आतंकियो की भीड़ अदालत में घुस गई तोड़ फोड़ कर दी. दरवाजे टेबल कुर्सी सब तहस नहस कर दी. जजों को जान से मारने की धमकी दी. जज भी डर गए. उन्होंने नूरीन की अपील खारिज करके मौत की सजा बरकरार रखी.

पोप पॉल ने आशिया नूरीन को माफ करने की अपील की. पर सब बेकार. अमेरिका, युरोप में “फ्री आशिया बी” अभियान चलाकर चार लाख लोगों ने हस्ताक्षर करके ओबामा सरकार को पिटीशन पेश किया. वह भी बेकार.

इटली, फ्रांस और स्पेन की  सरकारों ने आशिया नूरीन और उसके परिवार को अपने देश में राजनैतिक शरण देने की पेशकश की. पाकिस्तान सरकार के कानों पर जूं भी नही रेंगी.

अब मामला पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को पेन्डिग है …पर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के जजों की भी आतंकवादियों, कट्टरपंथियों के आगे हवा खिसक रही है. उन्होंने सुनवाई की तारीख  इनडेफीनेट समय के लिए बढ़ा दी है.

ईसा मसीह और अल्लाह ताला आसमान से जरूर यह नजारा देख रहे होंगे. सोच रहे होंगे पाकिस्तान में किन जल्लादों से पाला पड़ा है. खुदा के नाम  की आड़ में इन आतंकी  संगठनों के शैतानों का यह खूनी वैहशियाना हरकतें पता नहीं और कब तक पाकिस्तान के भीतर और बाहर जाकर निरीह मानवता का खून पीती रहेगी.

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