भारत-पाक तनाव और चीन की भूमिका : कारण और निवारण

हमेशा से चीन नामक देश पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है. चीन भारत को प्रतिवर्ष 32 लाख करोड़ का निर्यात करता है वहीँ पाकिस्तान को मात्र 1.1 लाख करोड़ का माल निर्यात करता है. फिर भी समय समय पर पाकिस्तान से मिल कर भारत के पीठ पर छुरा चला देता है.

14 देशों की सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर हो आतंकवादी न बनाने देने वालों मे चीन एक मात्र देश था. जब भी भारत पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करवाने की कोशिश करता है चीन अड़ंगा ड़ाल देता है. आखिर क्यों?

इसका उत्तर है फिर से एक बार आर्थिक कारण. आप समझ लें आज हर geopolitics का कदम मात्र आर्थिक और व्यावसायिक आधार पर ही है. आइये समझें कि चीन का पाकिस्तान में क्या स्वार्थ है, जिसके कारण वह कश्मीर में स्थिरता नहीं आने देना चाहता और चाहता है कि कश्मीर का समाधान न हो.

आज चीन का 66% से अधिक सकल घरेलू उत्पाद निर्यात पर निर्भर है. इसके लिए चीन आयात भी करता है. आज चीन बहुत अधिक व्यापार के लिए दक्षिण अफ्रीका में पैसा लगा चुका है चीन जब अपने तेल का आयात करता है कतार, कुवैत इत्यादि से तो क्योंकि चीन का बन्दरगाह बीजिंग में पड़ता है. और चीन को उसके लिए हिन्द महासागर से होकर समान मँगवाना पड़ता है. इसकी दूरी है लगभग 13000 किलोमीटर.

चीन चाहता है कि पाकिस्तान के अंदर से एक रास्ता बनाए जिसका नाम CHINA PAKISTAN ECONOMIC CORRIDOR है. यह रास्ता पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से हो कर गुजरेगा. चीन के काशगर से इस्लामाबाद से होकर ग्वादर बन्दरगाह से अरब सागर तक पहुँचने का रास्ता बनाने की योजना है.

यदि यह बन जाता है तो चीन को तेल लाने का रास्ता 13000 किलोमीटर से घट कर 2000 किलोमीटर रह जाएगा. इससे यूरोप से चीन के रास्ते में 50% तक खर्चा बचेगा. समय आधा लगेगा और दूरी आधी रह जाएगी. दूसरी तरफ मध्य पश्चिम देशों से भी समय दूरी और खर्चे में 80% तक बचत होगी. चीन की निगाह इसी पर है.

अब सोचिए पाकिस्तान का क्या फ़ायदा. आप जानते है कि हमारे पड़ोसी मुल्क के पास धन की बहुत कमी है. इसका सारा काम इमदाद या अमेरिकी मदद पर निर्भर है. चीन ने इस मुल्क को कहा है कि सारा धन चीन लगाएगा और इसके देश में इससे 50 लाख से अधिक रोजगार पैदा हो जाएंगे. और कुछ ऊपर से खर्चा पानी पाकिस्तान को देगा. पाकिस्तान के लिए तो अंधा क्या चाहे दो आँखें वाली बात हो गयी है.

अब आखिर में यह समझें कि यह रास्ता बलूचिस्तान से भी हो कर जाएगा. यदि कश्मीर में शांति हो जाएगी तो भारत पाकिस्तान अधिकृत भूमि को कल को मांग सकता है और अकसाई चिन जो चीन ने हथिया लिया है उसकी भी बात होगी. चीन किसी भी कीमत पर यह नहीं होने देना चाहता है.

निवारण के लिए पहले तो भारत चीन पर अपनी निर्भरता बंद करे. वहाँ से भारत तो आज laptop mobile इत्यादि निर्यात कर सकता है. अब चीन का सामान सस्ता क्यों है. चीनी सरकार ने अपनी आर्थिक नीति और उद्योग नीति में 1980 में ही बदलाव किया है.

चीन आज भी अपने प्रयोग का सामान और भारत को निर्यात के सामान की गुणवत्ता में अंतर रखता है. दूसरे चीन अपने उद्योगपति को धन 3% पर धन देता है और उसके ऊपर निर्यात अनुदान. अब भारत में आपको धन मिलेगा 12% से 18% पर तो भारत का निर्माता क्या करेगा.

अब भारत को जब सस्ता धन उपलब्ध करवाना है तो बैंक के पास पर्याप्त धन होना चाहिए उसके लिए अधिक से अधिक धन का व्यवहार बैंक से हो. बड़े नोट बंद होने से यह संभव होगा. यही तो अर्थक्रांति के प्रस्ताव हैं.

यदि आपके के पास और भी कोई सस्ता धन उपलब्ध कराने के सुझाव हों तो कृपया आगे बढ़े.

– आदर्श धवन

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