आतंकी मसूद अज़हर की मांग, भारत से जंग का ऐलान करे पाकिस्तान

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इस्लामाबाद. पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में भारत की कामयाब सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कुख्यात आतंकी और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सरगना मसूद अजहर ने पाकिस्तान सरकार से भारत के खिलाफ जंग का ऐलान करने की मांग की है.

इस आतंकवादी संगठन की साप्ताहिक पत्रिका अल-कलाम में मसूद अजहर की एक अपील प्रकाशित की गई है जिसमें मसूद सीधे तौर पर पाकिस्तानी सरकार को संबोधित करता दिखाई दे रहा है.

इंटरनैशनल बिजनस टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मसूद ने पाक सरकार से कहा है कि वह इस बार साहस दिखाए और जैश को भारत में जिहादी कार्रवाई करने की अनुमति दे. मसूद ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो सिंधु जल समझौते का विवाद और कश्मीर समस्या का समाधान हो जाएगा.

वहीं पाकिस्तान के एक अग्रणी अखबार ‘द नेशन’ ने पाकिस्तानी असैन्य और सैन्य प्रतिष्ठानों से पूछा है कि जेईएम प्रमुख मसूद अजहर और जेयूडी के हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही और ऐसा करना किस तरह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है.

अपनी अपील में मसूद ने पाकिस्तानी सरकार को चेताया भी है कि उसकी हिचकिचाहट की वजह से देश (पाकिस्तान) कश्मीर पर कब्जा करने का ऐतिहासिक मौका गंवा बैठेगा.

अपील में मसूद ने लिखा, ‘अगर पाकिस्तान की सरकार थोड़ा सा साहस दिखाए तो कश्मीर समस्या के साथ-साथ पानी से जुड़े विवाद भी एक बार में ही खत्म हो जाएंगे. अगर ऐसा नहीं हो सकता, तो सरकार केवल मुजाहिदीनों के लिए रास्ता खोल दे.’

मसूद अजहर ने अपनी अपील में कहा है कि पाकिस्तानी सरकार ने 1990 के दशक में जब जिहादी नीतियों को समर्थन दिया, तो उसे रणनीतिक फायदे भी मिले थे.

मसूद ने सरकार को कहा है कि सार्क जैसे मंच पर भारत को मौका देने की बजाय पाक को खुद सीज फायर तोड़ देना चाहिए. मसूद ने कश्मीर को पाकिस्तान की दुखती नब्ज बताया है.

जैश ने पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी. पाकिस्तान सरकार ने उस दौरान भारत से वादा किया था कि जैश के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जबकि इस तरह की रिपोर्ट्स से साफ है कि जैश पाकिस्तान में खुलेआम अपना काम कर रहा है.

वहीं, आतंकी संगठनों को गुप्त रूप से सेना के समर्थन पर सेना और सरकार के बीच विवाद को लेकर ‘डॉन’ के पत्रकार सायरिल अलमीड़ा की रिपोर्ट के बाद उनके पाकिस्तान छोड़ने पर रोक लगाने के बीच सरकारी और सैन्य प्रतिष्ठानों के करीबी समझे जाने वाले ‘द नेशन’ में तीखा संपादकीय लिखा है.

‘द नेशन’ ने ‘हाउ टू लूज फ्रेंड्स एंड एलियनेट पीपल’ शीर्षक वाले संपादकीय में कहा गया है कि अजहर और सईद पर कार्रवाई करने की बजाए सरकार और सेना प्रेस को नसीहत दे रही है.

जैश ए मोहम्मद (जेईएम) नेता और पठानकोट आतंकी हमले का सरगना अजहर तथा 2008 मुंबई हमले का सरगना जमात उद दावा (जेयूडी) प्रमुख सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है और माना जाता है कि उसे सेना का संरक्षण प्राप्त है .

अखबार ने अपने संपादकीय में कहा कि यह व्यथित करने वाला दिन है जब असैन्य और सैन्य आला नेतृत्व मीडिया को इस पर लेक्चर दे रहा है कि किस तरह काम किया जाए.

अखबार कहता है, वस्तुत: ऑनलाइन दुरुपयोग की बौछार, और तीन आधिकारिक खंडन अलमीड़ा की रिपोर्ट को लेकर उठे गुस्से के गुबार को शांत करने के लिए पर्याप्त नहीं थे.

इस रिपोर्ट में असैन्य और सैन्य शीर्ष अधिकारियों के बीच मतभेद को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई थी और ये वही लोग हैं, जिन्होंने कल एक बयान जारी कर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते समय वैश्विक रूप से स्वीकार्य सिद्धांतों का पालन करने का उपदेश दे डाला.

अखबार में कहा गया है, मिस्टर अलमीड़ा की रिपोर्ट को ‘मनगढंत’ और ‘कयास वाली खबर’ बताया गया है. पर, सरकार और सेना के आला अधिकारियों ने कल की बैठक में यह नहीं बताया कि सरकारी एमएनए पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठनों की नजर आने वाली मौजूदगी का विरोध क्यों नहीं करता. या मसूद अजहर, या हाफिज सईद के खिलाफ संभावित कार्रवाई किस तरह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. या पाकिस्तान अलग थलग क्यों पड़ता जा रहा है.

वहीं, एक संपादकीय में ‘डॉन’ ने कहा कि वह अलमीड़ा की स्टोरी के पक्ष में खड़ा है और निहित स्वार्थ और फर्जी खबरों के आरोपों को खारिज करता है.

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